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- Mother Kept Roaming With A Dead Child In Her Stomach For 13 Hours; No Doctor’s Negligence Written In The Report
इंदौर30 मिनट पहले
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पिछले माह सरकारी पीसी सेठी अस्पताल की लापरवाही के कारण गर्भवती महिला अपने मृत बच्चे को 13 घंटे तक पेट में लेकर घूमती रही। इस मामले में जिम्मेदार डॉक्टरों की लापरवाही की जांच पूरी हो गई है। विडम्बना यह कि इस मामले में बच्चे का पिता पोस्टमार्टम के लिए रातभर उसका शव लेकर गोद में लिए बैठा था, उसकी जांच में किसी भी डॉक्टर की कोई लापरवाही नहीं पाई गई। चौंकाने वाली बात यह कि मामले में अभी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी नहीं मिली है। और स्वास्थ्य विभाग ने अपनी जांच भी पूरी कर दी है।
यह है जिम्मेदारों की सफाई
सुपरिटेडेंट डॉ. निखिल ओझा का कहना है कि भले ही किसी डॉक्टर की लापरवाही नहीं पाई गई हो लेकिन अभी जांच में दो महत्वपूर्ण तथ्य शेष है। एक तो खुद पीडिता प्रसूता के बयान अभी नहीं हुए हैं और दूसरा बच्चे की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट अभी नहीं मिली है।
हम इस बाबद पुलिस को दो बार लिख चुके हैं। उधर, सीएमएचओ डॉ. बीएस सेतिया का कहना है कि मैं अभी इंदौर में नहीं हूं। पूरे मामले को दिखवाना पड़ेगा। हालांकि 28 अप्रैल को खुद उनके द्वारा जांच पूरी करने का आदेश जारी हुआ है जिसमें स्पष्ट लिखा है कि मामले में किसी भी डॉक्टर की लापरवाही नहीं पाई गई।
दूसरी ओर पति गंगाराम इसे लेकर पूर्व में ही सीएम हेल्प लाइन पर शिकायत कर चुके हैं जिसकी जांच चल रही है। उनका आरोप है कि जांच के नाम दोषियों को बचाया जा रहा है। घटना के बाद वह परिवार सहित अपने गांव रायसेन में है जबकि पत्नी सदमे से उबरी नहीं है।
पीड़िता के नहीं पति के हुए बयान – चूंकि इस मामले में पीड़िता घटना के दौरान काफी कराह रही थी और फिर मृत बच्चा पाकर सदमे में थी इसलिए उसके बयान नहीं हो सके। मामले में गठित कमेटी ने उसके पति गंगाराम के लिखित में बयान लिए गए। कमेटी द्वारा उससे पांच सवालों में जवाब पूछे गए थे।
पहले जानिए क्या था मामला
मामला प्रियंका पति गंगाराम शर्मा (29) का है। मार्च में उसे आठवां महीना चल रहा था। उसे पेट दर्द और कमर दर्द की शिकायत थी। पति गंगाराम 22 मार्च को उसे पीसी सेठी अस्पताल में दिखाने लाया। तब डॉक्टरों ने उसे देखा और कहा था कि अभी सब नॉर्मल है।
इसके बाद 27 मार्च को उसे फिर पेट और कमर में तेज दर्द शुरू हुआ। दंपती ने फिर इसी अस्पताल में लेडी डॉक्टर को दिखाया तो कहा कि अभी डिलीवरी के सिम्टम्स नहीं हैं जबकि पति ने कहा कि पेट में दर्द बहुत ज्यादा हो रहा है, सोनोग्राफी करके चेक कर लीजिए।
इस पर डॉक्टर ने एक पर्ची पर सोनोग्राफी कराने के लिए लिखकर भी दिया। पर्ची लेकर वे सोनोग्राफी यूनिट में पहुंचे। वहां बताया कि अभी सोनोग्राफी नहीं होगी क्योंकि आज का 30 सोनोग्राफी का टारगेट पूरा हो चुका है। इसमें अर्जेन्ट भी नहीं लिखा है।
स्टाफ ने उन्हें कल आना, यह कहकर हमें वहां से रवाना कर दिया था। 11 अप्रैल को आकर प्रियंका ने इस अस्पताल में आकर सोनोग्राफी कराई। यहां से सोनोग्राफी रिपोर्ट लेकर पति लेडी ड्यूटी डॉक्टर के पास गया। वहां उन्होंने रिपोर्ट देखते ही कहा कि बच्चे की तो एक दिन पहले ही मौत हो चुकी है।
रात करीब 8 बजे पति ने कलेक्टर इलैया राजा टी. को फोन लगाया और सारी बातें बताई। उन्होंने कहा कि आप वहीं रुके, मैं डॉक्टर से बात करता हूं। कलेक्टर की नाराजगी के बाद रात 11 बजे पत्नी को ऑपरेशन थिएटर में लिया गया।
इसके बाद पत्नी की कोख से मृत बच्चा निकाला। अगले दिन 12 अप्रैल को सुबह 5 बजे पति पुलिस के साथ बच्चे का शव लेकर अस्पताल पहुंचा और पोस्टमॉर्टम रूम में रखवाया। फिर दोपहर को उसका पोस्टमॉर्टम कर शव सौंपा गया था।
यह है CMHO की जांच रिपोर्ट
इस मामले में कलेक्टर ने गहरी नाराजगी जताने के बाद अस्पताल सुपरिटेंडेंट डॉ. निखिल ओझा ने जांच के लिए डॉ. सीमा विजयवर्गीय व डॉ. कोमल विजयवर्गीय की टीम बनाई थी। मामले में पीड़ित पक्ष ने जनसुनवाई में भी शिकायत की थी।
इसकी जांच पूरी हो गई है। पीड़ित का कहना है कि मैं कई दिनों से बच्चे के पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के लिए संयोगितागंज थाने के चक्कर लगा रहा हूं। पुलिस का कहना है कि रिपोर्ट आने में तीन महीने से ज्यादा लग सकते हैं।
जानिए सवालों-जवाबों की बानगी; पति बोला डॉक्टरों ने कुछ पर्चियां निकालकर गुम कर दी
सभी जांचों की प्रतिलिपि संलग्न का आपके पूर्व कथन में लिखा है किंतु एक भी दस्तावेज भी संलग्न नहीं किया क्यों?
– मेरे पास सभी प्रतिलिपि संलग्न हैं मगर उसमें से कुछ पर्चियां डॉक्टरों ने निकालकर गुम कर दी है। मेरा डॉक्टरों से निवेदन है कि मुझे गुम हुई पर्ची की फोटो देने की कृपा करें।
25 मार्च को जब अस्पताल में आए थे तो मैडम ने परीक्षण के बाद आपको क्या बोला था? आपके अनुसार मरीज (पत्नी प्रियंका) को उस दिन क्या समस्या थी?
– 25 मार्च को जब हम अस्पताल पहुंचे तो हमने मैडम से सोनोग्राफी करवाने का बोला था क्योंकि पत्नी के पेट में दर्द हो रहा था मगर मैडम ने खून-पेशाब की जांच करवाने का लिखा और हमें कहा कि कमरा नं. 124 में जाकर जांच करवा लेना। उस दिन जांच नहीं की गई। हमें कहा कि 27 मार्च को आना तो हम घर आ गए।
27 मार्च को मैडम ने क्या उपचार किया या क्या बोला था? उस दिन मरीज को क्या समस्या थी?
– इस दिन हम अस्पताल पहुंचे तो ग्राउण्ड फ्लोर से रिपोर्ट ली। फिर कमरा नं. 108 में मैडम को दिखाई लेकिन उन्होंने कुछ उपचार नहीं किया। मैडम ने रिपोर्ट देखी और कहा कि सब नॉर्मल है। हमने बोला मैडम सोनोग्राफी करवाना है, पेट में बहुत दर्द हो रहा है।
मैडम ने सोनोग्राफी लिख दी और कहा कि ग्राउण्ड फ्लोर पर करवा लेना। हम नीचे गए तो सोनोग्राफी वालों ने मना कर दिया और एक पर्ची पर लिखकर दिया कि 11 अप्रैल को आना। हमने बार-बार सोनोग्राफी वालों को बोला कि बहुत अर्जेंट है क्योंकि प्रसूता को पेट में बहुत तकलीफ हो रही थी।
बार-बार बोलने के बाद भी सोनोग्राफी वालों ने सोनोग्राफी के लिए 11 अप्रैल को आना कर देंगे। इस दौरान न सही उपचार हुआ और न ही सोनोग्राफी की गई।
शासकीय प्रकाशचंद सेठी अस्पताल। जहां महिला के साथ हादसा हुआ। पीड़ित का कहना है कि मैं कई दिनों से बच्चे के पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के लिए संयोगितागंज थाने के चक्कर लगा रहा हूं। पुलिस का कहना है कि रिपोर्ट आने में तीन महीने से ज्यादा लग सकते हैं।
27 फरवरी से 11 अप्रैल के बीच मरीज को किस तरह की समस्या उत्पन्न हुई? यदि हां तो क्या?
– 27 फरवरी को सब ठीक था और 27 मार्च तक सारी रिपोर्टस नॉर्मल थी और जांच अनुसार समय पर दिखाते रहे। जो मैडम को नियमित देखती थी वह 11 अप्रैल को कमरा नं. 106 में नहीं थी। हमने कमरा नं. 105 में मैडम को दिखाया तो बताया कि आपका बच्चा मर चुका है। उसके बाद डॉक्टर ने कहा कि सेकण्ड फ्लोर पर दिखाओ तो हमने दिखाया।
पेट में बच्चे का घूमना कब बंद हुआ था? उसके बाद आपके द्वारा क्या उपचार किया गया?
– मरीज नॉर्मल थी और बच्चा घूम रहा था। सुबह मरीज को जांच के दौरान पता चला कि बच्चे ने पेट में घूमना बंद कर दिया है। हमने ओपीडी कमरा नं. 105 में दिखाया तो बताया कि आपका बच्चा मर चुका है।
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