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  • When The Opponents Surrounded ‘Bhau’, The Minister Became A Shield; Ticket Application Fee 25 Thousand

भोपाल36 मिनट पहलेलेखक: विजय सिंह बघेल

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लगता है बीजेपी के ‘भाऊ’ के दिन अच्छे नहीं चल रहे हैं। पहले एक कथावाचक ने उनकी फजीहत की। कथा के मंच से उन्हें ‘औकात’ दिखाई। अब उनके अपने दल के लोग भी कुछ ऐसा ही करते नजर आए।

हुआ यूं कि नेता जी के गृह जिले में बीजेपी का एक बड़ा प्रोग्राम था। चूंकि वे पार्टी के बड़े चेहरे हैं, इसीलिए मंच पर मौजूद थे। इस दौरान एक बड़ी सी माला से मंच पर मौजूद नेताओं का स्वागत किया गया। ‘भाऊ’ ने भी माला के घेरे में जैसे तैसे अपनी जगह बनाई। सभी नेता हाथ हिलाकर जनता का अभिवादन कर रहे थे। तभी ‘भाऊ’ के हाथ उठाने से एक मंत्री का चेहरा नहीं दिख रहा था। फिर क्या था, मंत्री ने उनका हाथ झटक दिया। नेता जी मायूस होकर सावधान की मुद्रा में खड़े रह गए।

हालांकि ‘भाऊ’ का हाथ झटकने वाले मंत्री अगले ही दिन एक मामले में उनके समर्थन में भी खड़े हो गए। कांग्रेस ने ‘भाऊ’ का एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया। उन पर शर्मनाक हरकत करने का आरोप लगाया। जिस पर मंत्री ने ना सिर्फ कांग्रेस को लताड़ लगाई, बल्कि कानूनी कार्रवाई करने की भी बात कही।

बीजेपी के ये ‘भाऊ’ बुजुर्ग, लेकिन दमदार नेता हैं। महाराष्ट्र की सीमा से सटे जिले से आने वाले ‘भाऊ’ छह बार विधायक और दो बार सांसद रहे हैं। पार्टी से ओबीसी वर्ग का बड़ा चेहरा माने जाते हैं। पार्टी ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी भी दे रखी है। ‘भाऊ’ को ये चिंता भी है कि उम्र के कारण पार्टी उन्हें साइड लाइन नहीं कर दें, इसीलिए वे अपनी बेटी को पार्टी की टिकट पर चुनावी मैदान में उतारने की पुरजोर कोशिश में जुटे हैं।

बेलगाम विधायक, मजबूर बीजेपी

विंध्य से बीजेपी के एक विधायक लगातार अपने बयानों से पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं। उनके बगावती तेवर के बावजूद अनुशासन का दम भरने वाली सत्ताधारी पार्टी लाचार दिख रही है। जबकि विधायक लगातार चुनौती दे रहे हैं कि उनकी कोई बात गलत है तो पार्टी उनके खिलाफ एक्शन ले, वो पार्टी से डरते नहीं। दलबदल की राजनीति में सक्सेस होते आए विधायक ने हाल ही में अपने इलाके के, अपने ही दल के सांसद को राक्षस तक कह डाला था।

दरअसल बीजेपी के इस विधायक ने अलग विंध्य प्रदेश का झंडा बुलंद कर रखा है। वे इसके लिए एक दल बनाकर चुनाव लड़ने और लड़ाने का ऐलान कर चुके हैं। ऐसे में बीजेपी के पदाधिकारियों का कहना है कि विधायक इस तरह का रवैया अख्तियार कर खुद पर कार्रवाई के लिए पार्टी को उकसा रहे हैं। ताकि कोई एक्शन हो जाए तो इसकी आड़ में वे सहानुभूति बटोर सके। लेकिन पार्टी उन्हें ऐसा कोई मौका नहीं देने वाली है। हमारी रणनीति है कि अगली बार विधायक विधानसभा में नहीं, बल्कि घर बैठे मिलेंगे।

आवेदन के ही 25 हजार रुपए, टिकट के कितने लगेंगे?

प्रदेश में विधानसभा चुनाव को अब बमुश्किल 5 महीने ही बचे है। ऐसे में राजनीति पार्टियां जिताऊ चेहरे तलाश रही है। एक पार्टी भी दावेदारों से आवेदन लेने की शुरुआत करने जा रही है। टिकट के दावेदारों को आवेदन में पॉलिटिकल, पर्सनल और प्रोफेशनल बैकग्राउंड के साथ ही आर्थिक स्थिति और क्षेत्र की जातिगत परिस्थितियां भी बताना होगी। ये भी बताना होगा कि कहीं कोई आपराधिक रिकॉर्ड तो नहीं हैं। और सबसे खास ये है कि आवेदन के लिए 25 हजार रुपए की फीस भी जमा करनी होगी।

25 हजार रुपए फीस के पीछे पार्टी के जिम्मेदारों का तर्क है कि पार्टी सत्ता में तो है नहीं, लिहाजा पार्टी के आयोजनों और संचालन के लिए कार्यकर्ताओं से ही सहयोग लिया जाएगा। दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक और अति पिछडे़ वर्गों के भरोसे सत्ता में भागीदारी पाने की चाह रखने वाले इस दल के दावेदार फीस को लेकर टेंशन में हैं।

विंध्य क्षेत्र से इस पार्टी से टिकट के एक दावेदार कहते हैं कि अभी जब आवेदन के साथ 25 हजार रुपए जमा करने पड़ेंगे तो जब टिकट मिलेगा उस वक्त कहीं भारी भरकम फीस न मांग ली जाए।

मंत्री के खिलाफ लगे मुर्दाबाद के नारे

चुनावी मौसम में नेता हर कदम फूंक-फूंक कर रख रहे हैं। खासकर विरोधियों को हावी होने का मौका देने से बच रहे हैं। एक मंत्री ने भी कुछ ऐसी ही रणनीति अपना रखी है।

दरअसल मंत्री जी के इलाके में बेमौसम बारिश से फसलें बर्बाद हो गई, लेकिन किसानों को अब तक मुआवजा नहीं मिला। जिसे लेकर पूर्व सांसद ने रैली निकालकर विरोध जताया। इस दौरान मंत्री के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगे। मंत्री को गुस्सा तो आया, लेकिन करीबियों की सलाह पर चुप ही रहे। उन्हें ये सलाह मिली कि कहीं कोई एक्शन लिया तो पूर्व सांसद की राजनीति चमक जाएगी, वे फिर से हीरो बन जाएंगे।

मंत्री अब पूर्व सांसद को जवाब देने के लिए वक्त का इंतजार कर रहे हैं। बता दें कि मंत्री जी महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे एक जिले से ताल्लुक रखते हैं। जबकि पूर्व सांसद की पत्नी ने हाल ही में कांग्रेस का दामन थामा है। वो चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हैं।

और अंत में…

चुनावी मौसम में सत्ताधारी दल से लेकर विपक्ष के नेताओं तक में कथा कराने की होड़ मची है। इसमें भी सनातन का झंडा बुलंद करने वाले एक कथावाचक का बड़ा क्रेज है। ऐसे में निमाड़ से आने वाले एक मंत्री भला कहां पीछे रहते। वे भी अपने क्षेत्र में महाराज की कथा करा रहे है। इस मामले में वे दूसरे नेताओं से एक कदम आगे दिखे। उन्होंने कथावाचक के ईष्ट का मंदिर ही बनवा दिया। कथा के लिए आ रहे महाराज को लेने मंत्री खुद इंदौर पहुंच गए।

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बीजेपी के पंडित जी से कांग्रेस नेता की गुपचुप मुलाकात

राजनीति में जैसा दिखाई देता है, वैसा असल में होता नहीं है। कैमरे के सामने जो नेता एक-दूसरे पर बयानी तीर छोड़ते रहते हैं, कैमरे के पीछे वो साथ नजर आते हैं। हाल ही में कांग्रेस के एक सीनियर लीडर और पूर्व मंत्री बड़ी खामोशी से एक दमदार मंत्री से मिल आए। खास बात यह है कि नेता जी ना तो अपने सहयोगियों को साथ ले गए और ना ही सुरक्षाकर्मियों को। वे खुद कार ड्राइव कर मंत्री के बंगले पर पहुंचे। यहां दोनों के बीच अकेले में मीटिंग हुई। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…

बड़े अफसर पर बिफरे मंत्री, ‘सरकार’ ने सुन ली बात

चुनाव जीतकर आए जनप्रतिनिधियों की शिकायतों से परेशान एक मंत्री एक अफसर पर बिफर पड़े। ऊंची आवाज में उन्हें खूब खरी-खोटी सुनाई। चूंकि ये वाकया ‘सरकार’ के घर पर हुआ, इसलिए अफसर को पड़ रही फटकार उनके कानों तक पहुंच गई। फिर क्या था, जो काम कई महीनों से नहीं हो रहा था, वो फटाफट हो गया। पूरी खबर यहां पढ़ें

भले मंत्री बन जाएं, ये कमरा तो नहीं छोड़ेंगे

कांग्रेस के एक विधायक ऐसे हैं, जो पिछले चार बार से लगातार चुनाव जीत रहे हैं। साइकिल की सवारी कर पहली मर्तबा विधानसभा पहुंचे। इसके बाद राष्ट्रपति के चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार को वोट दिया तो उन्हें कांग्रेस से विधानसभा आने का ऑफर मिल गया। इसके बाद परिसीमन हुआ तो विधायक जी को सीट बदलनी पड़ी। वे वर्ल्ड टूरिस्ट प्लेस से लगातार तीसरी बार एमएलए बनते आ रहे हैं। जब 2018 में कांग्रेस की सरकार आई, तो विधायक की सीनियरिटी देखते हुए उन्हें एमएलए रेस्ट हाउस के बजाए बडे़ बंगले का ऑफर मिला, लेकिन विधायक जी ने 2003 में अलॉट हुआ पुराना पारिवारिक खंड का कमरा नहीं छोड़ा। पूरी खबर यहां पढ़ें

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