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- The Hope Of Getting The Forest Rights Lease Was Awakened, Dr. Mishra Called In The Room And Discussed
बालाघाट35 मिनट पहले
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जिले के नक्सल प्रभावित बिरसा तहसील के क्षेत्र लालपुर और मछुरदा से वन अधिकार पट्टे की मांग को लेकर बालाघाट पहुंची। आदिवासी बैगा महिला और पुरूषों को कलेक्टर डॉ. गिरीश कुमार मिश्रा से मिलने के बाद पट्टा मिलने की आस जागी है।
20 जून को महिलाएं प्रति मंगलवार को होने वाली जनसुनवाई में वन अधिकार पट्टे की मांग को लेकर किराए के वाहन से बालाघाट पहुंची थी। कलेक्टर डॉ. मिश्रा ने उन्हें देखकर अलग से अपने कक्ष में उन्हें बुलाया और यहां उनकी समस्या को जाना। आदिवासी बैगा महिलाओं ने बताया कि जिस वन भूमि पर वह निवास कर रहे हैं। उन्हें उस वन भूमि का वन अधिकार पट्टा चाहिए। महिलाओं ने बताया कि उनके बाद के लोगों को वन अधिकार पट्टा मिल गया है, लेकिन उन्हें अब तक वन अधिकार पट्टा नहीं मिला।
कलेक्टर डॉ. मिश्रा ने बैगा महिलाओं और लोगों को बताया कि वे वर्ष 2006 के पहले से वन भूमि पर काबिज होंगें और पात्रता रखते होंगे, तो उन्हें वन अधिकार पट्टा जरूर दिया जाएगा। इसकी शीघ्र ही जांच की जाएगी और पात्रता होने पर तत्काल वन अधिकार पट्टा दिया जाएगा। इसी दौरान कलेक्टर डॉ. मिश्रा ने तत्काल फोन कर बैहर एसडीएम को इसकी जांच करने और पात्रता होने पर इन बैगा जनजाति के लोगों को वन अधिकारी पट्टा प्रदान करने के निर्देश दिए। उन्होंने बैगा महिलाओं से कहा कि उनकी समस्या पर पूरी सहानुभूति के साथ के कार्य किया जाएगा और प्रयास किया जाएगा कि सभी पात्र लोगों को शीघ्र वन अधिकार पट्टा प्राप्त हो जाए। कलेक्टर डॉ. मिश्रा ने इन बैगा लोगों से कहा कि अब वे वन अधिकार पट्टा के लिए किसी और कार्यालय में ना जाएं और परेशान ना हों।
कलेक्टर डॉ. मिश्रा के बालाघाट तक पहुंचने के सवाल पर बैगा महिलाओं ने बताया कि वे किराये का वाहन करके सुबह ही अपने गांव से निकले हैं। कलेक्टर डॉ. मिश्रा ने अपनी ओर से 3 हजार रुपए की राशि बैगा महिलाओं को देना चाहा, लेकिन वह रुपए नहीं लेना चाह रही थी। उसके बाद कलेक्टर ने किराए का वाहन लेकर आए ड्राइवर को तीन हजार रुपए दिये और कहा कि इन बैगा लोगों से अब किराया मत लेना। कलेक्टर डॉ. मिश्रा ने सभी बैगा लोगों को भोजन करने के लिए 500 रुपये दिए और ड्राइवर को हिदायत दी कि सभी लोगों को भोजन कराने के बाद ही गांव लेकर जाएं। बैगा महिलाएं कलेक्टर के आश्वासन से संतुष्ट थी कि उनका वन अधिकार पट्टा का काम अब पूरा हो जाएगा।
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