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  • Fazil Said There Was No Intention To Change Religion, Changed For Marriage; Bajrang Dal Claims – His Father Was A Hindu

शिवांगी सक्सेना। नरसिंहपुर41 मिनट पहले

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नरसिंहपुर के फाजिल खान की नई पहचान फिलहाल अमन राय के रूप में है। उसे यह नया नाम प्रेमिका सोनाली से शादी के साथ मिला है। वह कोर्ट मैरिज करने वाला था, इससे पहले हिंदू संगठनों ने मिलकर करेली के राम मंदिर में दोनों का विवाह करा दिया। फाजिल को जनेऊ पहनाई। उसका नाम बदलकर अमन राय कर दिया। हिंदू संगठन से जुड़े लोग इसे घर वापसी बता रहे हैं।

युवक का कहना है कि उसका हिंदू बनने का कोई इरादा नहीं था। उसने अपनी प्रेमिका से शादी करने के लिए यह सब किया। लड़के के परिजन कह रहे हैं कि हम फाजिल को अमन नहीं मानते, उसे हमसे संबंध रखना है ताे उसे मुसलमान ही रहना होगा। इधर, लड़की के घरवाले उसका पिंडदान कर चुके हैं।

दैनिक भास्कर टीम ने नरसिंहपुर जिले के करेली पहुंचकर इस घटना से जुड़े पक्षों से बात कर तहकीकात की तो नई कहानी सामने आई। पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट…

नरसिंहपुर जिले में 23 वर्षीय फाजिल खान और सोनाली राय शादी के बिना ही काफी समय से साथ रह रहे थे। यानी लिव इन में थे। कुछ महीने पहले दोनों ने कोर्ट मैरिज का मन बनाया था। जब यह बात हिंदू संगठनों के संज्ञान में आई तभी से मामले ने तूल पकड़ लिया। दावा किया जा रहा है कि फाजिल के पिता हिंदू थे। फाजिल उर्फ अमन की तरह उन्होंने भी अपनी प्रेमिका से शादी करने के लिए इस्लाम अपना लिया था।

आठ साल पहले मंदिर में मिले थे सोनाली और फाजिल

पूरे मामले को समझने के लिए सबसे पहले हम प्रिंस ढाबा गए। हरि ओम रघुवंशी इस ढाबे के मालिक हैं। फाजिल यहीं काम करता है। आग्रह करने पर हरि ओम ने हमें फाजिल (अमन) से मिलने दिया। उसका घर डमरूघाटी के पास गाढाबारा में ही है।

उसने बताया… गांव में सबको हमारे रिश्ते के बारे में पहले से पता था। हम तीन साल से परिवार से अलग रहते हैं। सोनाली और मेरी मुलाकात 8 साल पहले हुई थी। वह अपनी सहेलियों के साथ मंदिर आती थी। मैं भी वहां जाता था, क्योंकि मंदिर मेरे घर के पास है। वहीं आने-जाने के दौरान मेरी उससे मुलाकात हुई थी।

पहले हम एक-दूसरे को देखते थे। एक दिन हम दोनों ने बातचीत की। फिर मोबाइल नंबर शेयर किए। इसके बाद हमारी रोजाना मोबाइल फोन पर बात होने लगी। हमारा प्यार दिन गुजरने के साथ ही गहरा होता जा रहा था। एक दिन हम दोनों ने फैसला किया कि साथ रहेंगे। साल 2022 में मेरी नौकरी नागपुर में लगी।

सोनाली ने कहा कि वो भी मेरे साथ चलना चाहती है। उसकी मां को हमारे रिश्ते के बारे में पहले से पता था। वो नहीं चाहती थी कि हम दोनों साथ रहें। सोनाली की सहमति से मैं उसे अपने साथ नागपुर ले गया। वहां मैं कंपनी में लेबर का काम करता था। कंपनीवालों ने घर दिया हुआ था, लेकिन हमारा मन नहीं लगा और 8 महीने पहले हम करेली वापस आ गए। मैं प्रिंस ढाबे पर काम करने लगा।

सोनाली की मां कहती हैं कि उन्होंने सोनाली का पिंडदान कर दिया है। वह उसे अपने घर भी नहीं घुसने देती। सोनाली अपनी बड़ी बहन की शादी पर घर गई थी। उसके पिता गांजे के नशे में रहते हैं। उन्होंने सोनाली के चरित्र को लेकर बहुत खरी-खोटी सुनाई। इसके बाद सोनाली भागकर मेरे पास ही आ गई। तब से मैं और सोनाली ढाबे के पास किराए से घर लेकर रहते हैं।

मैंने केवल सोनाली के लिए बदला धर्म

बजरंग दल और हिंदू संगठन के लोग मुझे धमकाते थे कि वो मुझे मारेंगे। हमारी शादी के लिए काेर्ट में गवाही देने वाले शिव कुमार दुबे को भी धमकाया कि एक हिंदू ब्राह्मण होकर मुस्लिम की शादी हिंदू लड़की से करवा रहा है। हरि ओम रघुवंशी, दिनेश गुज्जर, प्रियांक जैन समेत कुछ लोगों ने ढाबे पर मीटिंग की। हर तरफ से मुझ पर बहुत दबाव था।

सोनाली ने मुझसे कहा कि तुम्हारे बाद मैं अकेली पड़ जाऊंगी। मेरे माता-पिता ने मुझे अलग कर दिया है। अगर तुम भी नहीं रहे तो मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है। मैं सोनाली से प्यार करता हूं, इसलिए उसकी परेशानी को समझते हुए मैंने हिंदू धर्म को अपना लिया।

हमने जाकर अपने सेठ हरि ओम को कहा कि हम शादी करने के लिए तैयार हैं। राम मंदिर में हमारी शादी हुई। मुझे जनेऊ पहनाया। हाथ में कलावा बांधा और रामचरित मानस की किताब दी।

अब बात गवाहों की… वे लोग मेरे लिए शोक सभा का इंतजाम कर रहे थे

गवाह शिव कुमार दुबे ने दैनिक भास्कर को बताया कि मेरा और दीपक का नाम गवाहों में था। जब से पत्र वायरल हुआ तभी से मुझे हमारे समाज (ब्राह्मण समाज) के लोगों के कॉल आने लगे। कई बार बजरंग दल और भाजपा के लोग ढाबे पर आए। उन्होंने हम पर दबाव बनाया कि अगर हमने गवाही से नाम वापस नहीं लिया तो हमें समाज से बहिष्कृत कर दिया जाएगा। वो लोग मेरी शोक सभा का इंतजाम कर रहे थे।

14 जून को बजरंग दल के दीपक गुज्जर और हिंदू जन जागृति मंच की सुषमा वर्मा ने मुझे, सोनाली और फाजिल को सुषमा के घर रात 8:30 बजे बुलाया। मुझे और फाजिल को बाहर खड़ा रखा। सोनाली को एक कमरे में ले गए। वहां उसे समझाया गया कि मुस्लिम युवक के साथ शादी करने से उसका जीवन बर्बाद हो जाएगा। उसे कुछ ऐसी हिंदू लड़कियों से भी मिलवाया गया, जिन्होंने मुस्लिम लड़कों से शादी की थी, मगर शादी के कुछ ही साल बाद वो अपने घर लौट आईं। यह मीटिंग रात को 12 बजे खत्म हुई।

मामले की अगली कड़ी हिंदू संगठन के मुखिया प्रियांक जैन और उदय सिंह ठाकुर से जुड़ी है। दोनों भाजपा कार्यकर्ता हैं। हमने दोनों से बात की।

विवाह में क्या थी हिंदू संगठनों की भूमिका

भाजपा कार्यकर्ता उदय ठाकुर ने बताया कि सोशल मीडिया पर सोनाली और फाजिल की शादी से जुड़ा एक पत्र वायरल हो रहा था, तभी हमारी नजर में बात आई। मुस्लिम लड़के के हिंदू लड़की से शादी करने की बात से समाज में बहुत तीखी प्रतिक्रिया सामने आ रही थी। एक गरीब परिवार की लड़की से शादी कर उसे मुस्लिम बनाया जा रहा है। गवाह भी हिंदू थे। उन पर सामाजिक दबाव पड़ा।

हमने लड़की के परिवार से संपर्क किया। हमने फाजिल से भी बात की। उसी ने हमें बताया कि दोनों की मुलाकात डमरू घाटी के मंदिर में हुई और उसके पिता मूल रूप से हिंदू ही थे। मां से शादी करने के लिए उन्होंने अपना धर्म बदलकर इस्लाम स्वीकारा था।

फाजिल नियमित मंदिर जाता है। नर्मदा नदी में स्नान करता है। जब सोनाली और फाजिल से बात हुई तब दोनों ने रजामंदी से शादी करने की बात कही। फाजिल शादी करने के लिए अपने मूल धर्म हिंदू में वापस आया है। उसके पिता हिंदू ही थे। उसने नाम बदलकर अमन राय कर लिया है।

लड़की के माता-पिता से बात हुई। वे भी इस विवाह के लिए तैयार हुए। हरि ओम की बातचीत फाजिल के पिता से हुई, जिन्होंने पुष्टि की कि वो हिंदू धर्म से हैं और शादी के बाद उन्होंने अपना नाम बदलकर शेख अब्दुल खान रखा था। इसके बाद कोर्ट में दोनों गवाहों ने भी अपना नाम वापस ले लिया। इसके बाद विधि-विधान से फाजिल और सोनाली का विवाह करेली के राम मंदिर में संपन्न कराया गया।

गवाह ने कहा था- मुझे नहीं पता हस्ताक्षर किस बात के लिए कराए

प्रियांक जैन भारतीय जनता युवा मोर्चा के नरसिंहपुर जिला अध्यक्ष हैं। वह इस मामले को सबसे पहले सामने लाने वाले प्रियेश जैन के भाई हैं। प्रियांक कहते हैं कि यह मामला मेरे ही जिले के करेली क्षेत्र का है। सोशल मीडिया से इसकी जानकारी मिली थी। मैंने सबसे पहले गवाह शिव कुमार दुबे से बात की। उनसे बात करने के बाद मुझे लगा मामले में कुछ गड़बड़ है, क्योंकि उनका कहना था कि किस चीज के लिए कागज पर उनका साइन लिया गया इसकी उन्हें जानकारी नहीं थी।

उन्होंने खेद जाहिर किया और गवाही वापस ले ली। हमने सोनाली और फाजिल से चर्चा की। दोनों शादी करना चाहते थे। लड़की ने मुझे बताया कि फाजिल से शादी का निर्णय इसी आधार पर लिया गया है कि वो हिंदू धर्म स्वीकार करेगा। फाजिल के पिता भी हिंदू थे। फाजिल खुद हिंदू धर्म अपनाना चाहता था, इसलिए हमने उसकी मदद की।

करेली के राम मंदिर में शादी कराने के लिए जोड़े से बैठे फाजिल और सोनाली।

करेली के राम मंदिर में शादी कराने के लिए जोड़े से बैठे फाजिल और सोनाली।

फाजिल की मां नहीं चाहती थी कि ये शादी हो

फाजिल की मां बताती हैं कि मुझे पता था कि सोनाली का मेरे बेटे से संबंध है। पिछले साल दिवाली पर सोनाली हमारे घर आई थी। मैंने उसे समझाया था कि वो फाजिल से शादी न करे, क्योंकि वो मजदूर है। बहुत ज्यादा कमाता नहीं है। फाजिल पर आपराधिक मामले भी चल रहे हैं। फिर भी वो नहीं मानी। दोनों नागपुर साथ रहने चले गए। नागपुर वाली बात हमें मालूम नहीं थी।

एक बार हम करेली गए थे तब उसके सेठ हरि ओम भैया ने हमसे पूछा कि फाजिल कहां है? हमें भी नहीं पता था। तब फाजिल नागपुर से करेली लौटकर आया है और वहां भी सोनाली उसके साथ रह रही है। जब मुझे पता चला कि सोनाली, फाजिल के साथ रह रही है तो मैंने उधार लेकर दोनों की शादी करवाने की सोची, ताकि ये रिश्ता मुक्कमल हो जाए।

दोनों की कोर्ट मैरिज के लिए वकील और अदालत के खर्चे की जिम्मेदारी हमने ली। उसका मामला कोर्ट में चल रहा था। हमारे 45 हजार रुपए खर्च हो चुके हैं। उससे पहले ही बिना हमें सूचित किए सोनाली और फाजिल की शादी करा दी गई।

किसी भी व्यक्ति ने हमें नहीं बताया कि फाजिल का धर्मांतरण हो गया है। उसका नाम बदलकर अमन रख दिया है। बिना हमारी जानकारी और मौजूदगी के फाजिल की शादी करा दी गई। हमें मोहल्ले के लोगों ने मोबाइल पर दिखाया तब पता चला कि मंदिर में सोनाली और फाजिल की शादी हो गई है। अभी तक फाजिल ने हमारा कॉल नहीं उठा रहा।

क्या ‘अमन’ काे बेटा और सोनाली को बहू स्वीकार करेगा फाजिल का परिवार?

फाजिल के घरवालों में उसकी मां और भाई है दोनों एक स्वर में कहते हैं कि हम फाजिल को बतौर अमन स्वीकार नहीं करेंगे। अगर शादी करवानी ही थी तो लड़के-लड़की दोनों के परिवारों को बुलाकर उनके सामने होनी चाहिए थी। सभी की राय-मशविरा से दोनों को साथ रहने देते। दोनों को शादी के लिए धर्म बदलने की जरूरत नहीं थी। हम हमारा धर्म मानेंगे। तुम हिंदू धर्म का पालन करो। हमने कभी लड़की को धर्मांतरण के लिए नहीं कहा और न कभी कहते। हम दोनों के धर्म को मानते हैं।

वहीं, छोटा भाई फैज खान कहता हैं कि बहुत दिनों से फाजिल का कॉल नहीं आया था। शाम को मोबाइल पर देखा कि उसकी शादी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। मैंने पढ़ा कि उसका नाम फाजिल खान से अमन राय हो गया है। मैंने कॉल किया। उसने कॉल नहीं उठाया। मैं सोनाली को अपने परिवार का सदस्य नहीं मानता। फाजिल और सोनाली अगर मुस्लिम धर्म में वापस लौटेंगे, तभी उन्हें अपनाएंगे।

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जब हमने सोनाली से बात करना चाही तो उसने बात करने से मना कर दिया। फिलहाल सोनाली दो माह की प्रेग्नेंट है। स्वास्थ्य सही नहीं होने के कारण वो बात नहीं करना चाहती।

हिंदू संगठन की सुषमा बोलीं- लड़का हिंदू बनने को तैयार हुआ तो शादी करा दी

अब उसी सुषमा वर्मा की बात करते हैं जिनके घर पर ले जाकर गवाहों को धमकाने का आरोप है। वैसे तो सुषमा वर्मा महिला एवं बाल विकास केंद्र में काम करती हैं। सुषमा ने हमें बताया कि सोनाली की मां आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं। मैं उन्हें जानती हूं। इस कारण से मैंने सोनाली को समझाया था कि वो इस लड़के के चक्कर को छोड़ दे, लेकिन वो नहीं मानी, तो हमने लड़के को हिंदू बनने को कहा तो मान गया।

जब हमने स्थानीय लोगों से पूछा तो पता चला कि सुषमा हिंदू जन जागृति मंच की सदस्य भी हैं। गवाह शिव कुमार दुबे के सामाजिक बहिष्कार करने वाली मांग का उन्होंने भी समर्थन किया था। इस कारण से गवाह शिव कुमार ने नाम वापस लिया था।

हमें पता चला कि राम मंदिर में शादी के समय सोनाली और फाजिल दोनों में से किसी के भी परिवारवाले वहां मौजूद नहीं थे। हिंदू संगठनों का दावा है कि यदि वो ऐसा न करते तो एक हिंदू लड़की और मुस्लिम लड़के से शादी करने से क्षेत्र में सामाजिक सौहार्द बिगड़ सकता था। पूर्व में ऐसा हुआ है, जब नरसिंहपुर में हिंदू लड़कियों ने मुस्लिम लड़कों से शादी की और वापस लौट आई थीं।

मंदिर में शादी की कुछ तस्वीरें…

करेली के राम मंदिर में शादी के दौरान फाजिल को तिलक लगाया गया।

करेली के राम मंदिर में शादी के दौरान फाजिल को तिलक लगाया गया।

शादी के बाद फाजिल ने मंदिर के पुजारी के पैर छूकर आशीर्वाद लिया।

शादी के बाद फाजिल ने मंदिर के पुजारी के पैर छूकर आशीर्वाद लिया।

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