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  • Police Sent To Jail On Charges Of Murder, Sentenced For Four Years, After Coming Out, Sudama Opened The Police’s False Story

जबलपुर34 मिनट पहले

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मध्यप्रदेश की अनूपपुर पुलिस की शर्मनाक करतूत जबलपुर हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान उजागर हुई है। हाईकोर्ट ने पाया कि पुलिस ने एक शख्स से ख़ुन्नस निकालने के लिए उसे, उसकी माँ के ही कत्ल के मामले में झूठा फंसा दिया। 4 साल से जेल में बंद याचिकाकर्ता को अब हाईकोर्ट ने ना सिर्फ ज़मानत पर रिहा किया है बल्कि उसे ट्रायल कोर्ट से दी गई आजीवन कारावास की सज़ा भी रद्द कर दी है। दरअसल 2014-15 में इस मामले में अनूपपुर पुलिस ने फर्जीवाड़े की तमाम हदे पार कर दी थीं। जिले के जैतहरी में एक पावर प्लांट के ज़मीन अधिग्रहण लेकर विरोध प्रदर्शन हुआ था जिसमें शामिल सुदामा सिंह नाम के शख्स को पुलिस पर हमले का आरोपी बनाया गया था। 4 नवंबर 2018 में जब सुदामा की माँ की हत्या टोनही के शक पर हुई तो पुलिस ने असली आरोपियों को छोड़कर सुदामा को अपनी ही माँ के कत्ल का आरोपी बना लिया। हिरासत में उसे थर्ड डिग्री टॉर्चर देते हुए उसके सिर से बाल उखाड़े गए, और कोर्ट में यह बताया गया कि मृतिका के शव की उंगलियों में बाल फंसे हुए थे। अनूपपुर पुलिस ने ज़ब्ती नामे से भी छेड़छाड़ करते हुए सुदामा सिंह को अभियुक्त बताया और उसे कोर्ट में पेश करके आजीवन कारावास की निचली अदालत की सजा सुना दी गई।

अनूपपुर जिला अदालत ने सुदामा को आजीवन कारावास की सज़ा दी थी जिसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट की शरण ली थी। जबलपुर हाईकोर्ट जस्टिस सुजय पाल और अचल सिंह पालीवाल की बैंच ने सुनवाई के दौरान पाया कि जैतहरी पुलिस ने जब्तीनामे से छेड़छाड़ करते हुए उसमें फर्जी तथ्य जोड़े, घटनास्थल के फोटोग्राफ जांच रिपोर्ट में नहीं लगाए गए और एफएसएल रिपोर्ट प्राप्त करने में भी गड़बड़ी की। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि ट्रायल कोर्ट ने मामले की तह तक जाए बिना ही आरोपी को आजीवन कारावास दे दिया, जो कि गलत है। हाईकोर्ट ने सुदामा को मिली सज़ा रद्द करते हुए हुए जमानत पर रिहा करने के आदेश सुनाए हैं, और आखिरकार निर्दोष होते हुए भी सुदामा को चार साल की सजा काटनी पड़ी और हाईकोर्ट से उसे न्याय मिला।

4 साल बाद जेल की सजा काटकर बाहर आया सुदामा

4 साल बाद जेल की सजा काटकर बाहर आया सुदामा

यह था पूरा घटनाक्रम

अनूपपुर जिले के ग्राम भेलमा गांव में रहने वाले सुदामा सिंह राठौर सहित हजारों ग्रामीणों की जमीन का मोजर वेयर पावर प्लांट ने अधिग्रहण किया था। कंपनी ने मुआवजा तो दिया पर नौकरी नही दी, जिसके कारण 2014-15 में ग्रामीणों ने कंपनी का घेराव करते हुए धरना प्रदर्शन किया, इस दौरान पुलिस की ग्रामीणों से झड़प हुई जिसमें कि गांव वालों ने पुलिस की बंदूक छीन ली। इस घटनाक्रम में पुलिस ने सैकड़ों लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया, इसमें सुदामा का नाम भी था। कोर्ट में यह केस चल रहा था।

4 नवंबर 2018 को सुदामा अपने पिता जगदीश के साथ जैतहरी गया हुआ था, और रात वही रुक गया। 5 नवंबर की सुबह जब सुदामा घर आया तो देखा कि उसकी मां घर पर नही थी। सुदामा ने अपनी मां मुन्नी बाई को तलाश करना शुरू किया तो उनका शव घर से 200 मीटर दूर गड्डे में मिला। सुदामा ने अपनी मां की हत्या की सूचना जैतहरी थाना पुलिस को दी जिसके बाद मौके पर डॉग स्क्वाड के साथ पुलिस मौके पर पहुंची। स्नेफ़र डॉग शव के पास से घूमते-घूमते सुदामा के पड़ोस में रहने वाले गंगा राठौर, राजन राठौर के घर के अंदर घुस गए। सुदामा ने बताया कि गंगा राठौर और राजन राठौर के माता-पिता की चार माह पहले मौत हों गई थी, इनको शक था कि मुन्नी बाई के द्वारा जादू-टोना करने से उसके माता-पिता की मौत हुई है।

पुलिस ने मुन्नी बाई की हत्या के आरोप में गंगा राठौर -राजन राठौर को गिरफ्तार कर थाने ले आई, पर कुछ ही देर बाद सुदामा को भी थाने बुलाया और यह कहते हुए उसे अरेस्ट कर लिया मुन्नी बाई की हत्या गंगा-राजन ने नही बल्कि तू ने की है। जैतहरी थाना पुलिस ने गंगा राठौर और राजन राठौर के बयान दर्ज करवाए जिसमें दोनों ने पुलिस को बताया कि सुदामा की मां के किसी से अवैध संबंध है, जिसकी जानकारी लगने के बाद सुदामा ने अपनी मां मुन्नी की हत्या कर दी। सुदामा को जैतहरी थाना पुलिस ने मुन्नी बाई की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया और फिर उसके सिर के बाल उखाड़कर एफएसएल की रिपोर्ट में यह कहकर लगा दिए कि मृतिका के नाखून में सुदामा के सिर के बाल फंसे मिलें।

सुदामा के जेल से बाहर आने के बाद खुश है परिवार

सुदामा के जेल से बाहर आने के बाद खुश है परिवार

तत्कालीन जैतहारी थाना प्रभारी पूरन लिल्लारें इस पूरी कहानी का मास्टरमाइंड था। बताया जा रहा है कि पावर प्लांट के धरना प्रदर्शन के दौरान जब ग्रामीणों का पुलिस के साथ विवाद हुआ था, तब सुदामा भी उस भीड़ में था, पुलिस ने सुदामा से बंदूक भी जप्त की थी, उसी का बदला लेने के लिए अनूपपुर पुलिस ने साजिश के तहत सुदामा को झूठा फंसा दिया। जैतहरी थाना पुलिस ने कूटरचित दस्तावेज और एफएसएल रिपोर्ट तैयार की और अनूपपुर कोर्ट में पेश किया। निचली अदालत ने भी घटनाक्रम की तह तक ना जाते हुए सुदामा को हत्या का आरोपी बताते हुए आजीवन कारावास की सजा सुना दी।

जैतहरी थाना पुलिस ने बनाया था फर्जी केस

जैतहरी थाना पुलिस ने बनाया था फर्जी केस

14 नवंबर 2018 को जैतहरी पुलिस में सुदामा को कोर्ट में पेश किया जहां से उसे जेल भेज दिया गया। निचली अदालत की आजीवन कारावास की सजा को सुदामा सिंह ने हाईकोर्ट में चुनौती दी, हाईकोर्ट की डिविज़न बैंच ने सुनवाई की। याचिकाकर्ता की वकील एडवोकेट अंजना कुररिया ने हाईकोर्ट को बताया कि पुरानी खुन्नस निकालने के लिए अनूपपुर पुलिस ने एक निर्दोष युवक को फ़र्जी हत्या का मामले में ना सिर्फ फंसाया बल्कि उसकी मृत मां पर अवैध संबंध रखने जैसे झूठे आरोप लगाए। याचिकाकर्ता की वकील ने हाईकोर्ट ने बताया कि मुन्नी बाई के जो हत्यारे थे पुलिस ने उन्हें ही सरकारी गवाह बना लिया।

झूठे हत्या के केस में सुदामा को जमानत दिलवाने वाली एडवोकेट

झूठे हत्या के केस में सुदामा को जमानत दिलवाने वाली एडवोकेट

सगी मां की हत्या के झूठे आरोपों से घिरे चार साल बाद सुदामा को हाईकोर्ट से जब जमानत मिली और जेल से छूटकर बाहर आया तो उसका पूरा परिवार बिखर चुका था, मां की हत्या से पिता जगदीश की पागल जैसी हालत हों गई थी, बच्चे बिना बाप के चार साल तक रहें, पत्नी भी हर रोज इसी इंतजार में रहती थी कि कब उनके पति जेल से टूट कर आएंगे। जेल से छूटने के बाद बाहर आए सुदामा सिंह राठौर ने हाईकोर्ट से मांग की है, ना सिर्फ दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की जाए, बल्कि मानहानि की भी सजा इन पर की जाए जिन्होंने की मृत मां के दामन में अवैध संबंध रखने के दाग लगाए हैं। फिलहाल केस की अगली सुनवाई नवंबर माह में सुनी जाएगी।

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