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भोपाल18 मिनट पहले

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रिचर्स के आधार पर अपनी बात रखते गैस पीड़ित संगठन के पदाधिकारी। - Dainik Bhaskar

रिचर्स के आधार पर अपनी बात रखते गैस पीड़ित संगठन के पदाधिकारी।

भोपाल गैस पीड़ितों के पांच संगठनों ने गैस कांड पर हुए रिसर्च के आधार पर अतिरिक्त मुआवजा दिए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि गैस कांड के दौरान जो बच्चे मां के गर्भ में थे, उनमें कैंसर होने की आशंका 8 गुना ज्यादा थी। साथ ही सामान्य बच्चों की तुलना में इन बच्चों में रोजगार बाधित करने वाली विकलांगता और शिक्षा का निम्न स्तर था। भारत सरकार के आंकड़ों के आधार पर यह रिसर्च हुआ है। रिचर्स में कहा गया है कि हादसे के समय कारखाने से 100 किलोमीटर दूर रहने वाले लोगों पर भी प्रभाव देखा जा सकता है।

भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने कहा कि यह वैज्ञानिक प्रकाशन राज्य और केंद्र की सरकारों के लिए एक चेतावनी होनी चाहिए। शोध के सभी निष्कर्ष सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रकाशित आंकड़ों पर आधारित हैं। सरकार ने कंपनी के पीड़ितों के हितों की रक्षा के वादे के बदले में भोपाल के पीड़ितों से यूनियन कार्बाइड पर मुकदमा चलाने का अधिकार छीन लिया है। यदि सरकारें यूनियन कार्बाइड से अगली पीढ़ी को हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए कानूनी कदम नहीं उठाती हैं तो यह उस वादे के साथ विश्वासघात होगा।

अतिरिक्त मुआवजा दिया जाना चाहिए
भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्षा रशीदा बी ने कहा, हम मांग करते हैं कि यूनियन कार्बाइड और डाव केमिकल कंपनी हादसे की अगली पीढ़ी के स्वास्थ्य को हुए नुकसान के लिए मुआवजा दें। भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के बालकृष्ण नामदेव ने बताया कि हम पिछले चार दशक से संघर्ष करते आ रहे हैं, जो आगे भी जारी रखेंगे। भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा की शहजादी बी ने भी मुआवजे की मांग उठाई।

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