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भिंड17 मिनट पहले
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भिण्ड शहर में इन दिनों जैन मुनि विहसंत सागर महाराज, जैन मुनि विश्वसाम्य सागर महाराज के सानिध्य में मज्जिनेन्द्र जिनबिम्ब शांतिनाथ पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन किया गया गया। धार्मिक आयोजन के दूसरे दिन गर्भकल्याणक उत्सव मनाया गया। ये आयोजन 08 जून से 13 जून तक निराला रंग विहार मेला ग्राउण्ड में चलेगा।
धार्मिक अनुष्ठान को संबोधित करते हुए जैन मुनि विहसंत सागर महाराज ने कहा कि आज हम सभी पंचकल्याणक में भगवान का गर्भकल्याणक महोत्सव मना रहे हैं। जैसे गीली मिट्टी को हम आकार देते हैं वैसे ही मां जीवन को आकार देती है। आज तीर्थंकर गीली मिट्टी की तरह है उनकी मां आकार देने का कार्य कर रही है। जब तीर्थंकर का जीव आया नहीं था तब उसके विचार कुछ अलग थे। जब भगवान मां के गर्भ में आते हैं तो माता को सोलह स्वप्न आते हैं। जिसमें अति विशाल श्वेत हाथी, श्वेत वृषभ, श्वेत वर्ण लाल अयालों वाला सिंह, कमलासन लक्ष्मी का अभिषेक करते हुये दो हाथी, दो सुगंधित पुष्प मालाएं, पूर्ण चन्द्रमा, उदय होता सूर्य, कमलपत्रों से ढके हुए दो स्वर्ण कलश, कमल सरोवर में क्रीड़ा करती दो मछलियां, कमलों से भरा जलाशय, लहरें उछालता समुद्र, हीरे मोती जडि़त स्वर्ण सिंहासन, स्वर्ग का विमान, विमान, रत्नों का ढेर, धुआं रहित अग्नि जैसे स्वप्न आते हैं और इनका अर्थ जानने के लिए माता बहुत उत्सुक रहती हैं और विस्तार से राजा विश्वसेन से स्वप्नों का फल पूछती हैं। राजा बहुत प्रफुल्लित होकर उनका जबाव देते हुए कहते हैं यह बहुत ही शुभ स्वप्न हैं।
![धार्मिक अनुष्ठान में उपस्थित श्रद्धालु गण।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/06/09/img-20230609-wa0006_1686327059.jpg)
धार्मिक अनुष्ठान में उपस्थित श्रद्धालु गण।
जैन मुनि ने आगे कहा कि भगवान के गर्भ में आने से छह माह पूर्व से लेकर जन्म पर्यंत 15 मास तक उनके जन्म स्थान में कुबेर द्वारा प्रतिदिन तीन बार साढे तीन करोड़ रत्नों की वर्षा होती है। यह भगवान के पूर्व अर्जित कर्मों का शुभ परिणाम है। अष्टकुमारी देवियां माता की परिचर्या व गर्भशोधन करती है।
प्रेस को जारी विज्ञप्ति में मनोज जैन ने बताया कि पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में प्रतिदिन सायंकालीन सभा में गुरूभक्ति, आनंदयात्रा का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें प्रतिदिन प्रश्नमंच कार्यक्रम के दौरान पुरूस्कार भी प्रदान किये जा रहे है।
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