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  • By June 30, Transfer Can Be Done In The District, CM’s Approval Is Necessary For Outside And Department

मध्य प्रदेश2 घंटे पहलेलेखक: राजेश शर्मा

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मध्यप्रदेश में आज से यानी गुरुवार से तबादले हो सकेंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में निर्णय लिया गया है कि 15 जून से 30 जून तक जिले के भीतर प्रभारी मंत्री के अप्रूवल से ट्रांसफर हो सकेंगे। जिले के बाहर व विभागों में तबादलों पर सीएम का अप्रूवल लगेगा।तबादला नीति के मुताबिक 201 से 2000 तक के संवर्ग में 10 फीसदी से ज्यादा तबादले नहीं किए जाएंगे। जबकि किसी भी संवर्ग में 20 फीसदी से ज्यादा ट्रांसफर नहीं होंगे।

एक ही जिले में दोबारा पोस्टिंग नहीं मिलेगी

सामान्य प्रशासन विभाग के मुताबिक ट्रांसफर पॉलिसी जारी कर दी गई है। उसके मुताबिक जिले में प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से तबादले होंगे। राज्य संवर्ग में विभागाध्यक्ष और प्रथम श्रेणी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के तबादले सीएम के अनुमोदन (अप्रूवल) से विभाग जारी करेगा। खास बात यह है कि जिस जिले में अधिकारी पूर्व में पदस्थ रह चुका है, वहां पोस्टिंग नहीं होगी।

फर्स्ट क्लास के अफसरों के तबादले सीएम की सहमति से होंगे

ट्रांसफर नीति के मुताबिक सभी विभागों के राज्य कैडर के अंतर्गत विभागाध्यक्ष और सरकारी उपक्रमों एवं संस्थाओं में पदस्थ प्रथम श्रेणी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (चाहे वे किसी भी पदनाम से जाने जाते हो) के ट्रांसफर आदेश समन्वय में मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद प्रशासकीय विभाग जारी करेगा। राज्य कैडर के शेष समस्त प्रथम श्रेणी के अधिकारी, द्वितीय और तृतीय श्रेणी के अधिकारियों-कर्मचारियों के ट्रांसफर (जिले के भीतर किए जाने वाले ट्रांसफर को छोड़कर) मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद प्रशासकीय विभाग जारी करेगा।

200 कर्मचारी वाले संवर्ग में 20% ही तबादले संभव

नीति के तहत 200 कर्मचारियों की संख्या वाले संवर्ग में 20 फीसदी, 201 से दो हजार की संख्या होने पर 10 फीसदी और दो हजार से अधिक संख्या होने पर 5 फीसदी तबादले होंगे। खुद गंभीर रूप से बीमार होने पर, शारीरिक या मानसिक दिव्यांगता की स्थिति में कर्मचारी आवेदन दे सकेगा। कर्मचारी की अत्यंत गंभीर शिकायत, गंभीर अनियमितता या लापरवाही प्रमाणित होने पर तबादले किए जा सकेंगे। हालांकि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का तबादला प्रशासकीय विभाग कर सकेगा।

पढ़िए क्या कहती है नई तबादला नीति

  • उप पुलिस अधीक्षक (DSP) से नीचे के पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों के जिले के भीतर ट्रांसफर के लिए पुलिस स्थापना बोर्ड निर्णय लेगा। जिले के भीतर पुलिस अधीक्षक प्रभारी मंत्री के अनुमोदन के बाद आदेश जारी करेंगे। डीएसपी और उनसे वरिष्ठ पुलिस अफसरों के ट्रांसफर स्थापना बोर्ड के दिशा-निर्देशों के मुताबिक विभागीय मंत्री के अनुमोदन के बाद समन्वय में मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद होंगे।
  • राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की पदस्थापना मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद सामान्य प्रशासन विभाग करेगा। जिले के भीतर डिप्टी कलेक्टर, संयुक्त कलेक्टर की अनुविभाग में पदस्थापना कलेक्टर प्रभारी मंत्री से विचार विमर्श के बाद कर सकेंगे।
  • तहसीलदार, अतिरिक्त तहसीलदार व नायब तहसीलदार की जिले के भीतर पदस्थाना कलेक्टर प्रभारी मंत्री के परामर्श के बाद कर सकेंगे।
  • जिलों में पदस्थ प्रथम श्रेणी एवं द्वितीय श्रेणी के कार्यपालक अधिकारियों के एक ही स्थान पर तीन वर्ष पूर्ण होने पर अन्य जिले में ट्रांसफर राज्य सरकार करेगी। तृतीय श्रेणी के कार्यपालक अधिकारियों व कर्मचारियों का भी एक ही स्थान पर तीन साल की पदस्थापना पूर्ण होने पर ट्रांसफर किया जा सकेगा।
  • स्वयं के व्यय पर ट्रांसफर अथवा परस्पर स्थानांतरण के लिए ऑनलाइन अथवा कार्यालय प्रमुख द्वारा स्थापित आवेदन प्रस्तुत किए जाएंगे।
  • स्वयं के व्यय पर रिक्त पदों पर किए गए ट्रांसफर और प्रशासनिक कारणों से किए गए ट्रांसफर आदेश अलग-अलग जारी किए जाएंगे।
  • स्वेच्छा से ट्रांसफर संबंधी आवेदन में उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी, जिनके द्वारा पिछले वित्तीय वर्ष के लिए निर्धारित लक्ष्यों को पूरा किया गया हो।
  • जिन अधिकारियों व कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति में एक साल या कम समय बचा हो, सामान्यत उनका ट्रांसफर नहीं किया जाएगा।
  • पति-पत्नी के स्वयं पर एक ही साथ पदस्थापना के लिए आवेदन पत्र प्राप्त होने पर ट्रांसफर किया जा सकेगा, परंतु पदस्थापना का स्थान प्रशासकीय अवश्यकता के आधार पर निर्धारित होगा। इसका आशय यह नहीं है कि पति/पत्नी यदि एक ही जिले/मुख्यालय में कार्यरत हों तो उनका ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है।
  • गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर, किडनी खराब होने के कारण डायलिसिस करवाने, ओपन हार्ट सर्जरी के कारण नियमित जांच कराना जरूरी है और उनकी पदस्थापना वाले जिले में यह सुविधा नहीं है तो मेडिकल बोर्ड की अनुशंसा पर शासकीय सेवक के चाहने पर ट्रांसफर हो सकेगा।
  • जिसकी दिव्यांगता 40% या इससे अधिक है तो उनके ट्रांसफर सामान्यत नहीं होंगे, लेकिन स्वयं के व्यय पर वे स्वेच्छा से ट्रांसफर ले सकेंगे।

ऑनलाइन लिए जाएंगे आवेदन

स्कूल शिक्षा विभाग में तबादले के लिए आवेदन ऑनलाइन लिए जाएंगे। उत्कृष्ट स्कूल, मॉडल स्कूल और सीएम राइज स्कूलों में स्वैच्छिक स्थानांतरण नहीं होंगे, साथ ही प्राचार्य, सहायक संचालक या उससे वरिष्ठ पदों के स्वैच्छिक स्थानांतरण आवेदन ऑनलाइन लिए जाएंगे, लेकिन उनका निराकरण ऑफलाइन भी किया जा सकेगा।

3 साल तक नहीं होगा कोई तबादला

नई शिक्षा नीति में एक बार स्वैच्छिक स्थानांतरण होने के बाद विशेष परिस्थिति छोडक़र 3 साल तक ट्रांसफर नहीं किया जा सकेगा। सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई शाला शिक्षक विहीन न हो जाए। प्रथम श्रेणी अधिकारियों के स्थानांतरण समन्वय मुख्यमंत्री के अप्रूवल से किए जाएंगे।

मंत्रिमंडल के आधे मंत्री नहीं चाहते थे चुनावी साल में ट्रांसफर हों

विधानसभा चुनाव में अब 6 महीने ही बचे हैं, सरकार ने अब तबादलों से रोक हटाई है। उनमें भी सिर्फ जिले के भीतर ट्रांसफर करने का अधिकार प्रभारी मंत्री को दिया गया है। दरअसल, 30 मई को कैबिनेट की बैठक में एक बार फिर तबादलों पर से बैन हटाने की बात उठी थी। सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया और राजस्व व परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने मुख्यमंत्री से कहा कि तबादलों पर रोक जून के महीने में ही 10 से 15 दिन के लिए हटाया जाना चाहिए। इस पर कृषि मंत्री कमल पटेल, पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव, नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री हरदीप सिंह डंग और पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने भी समर्थन किया था।

मंत्रियों ने कहा था कि एक समय सीमा में बैन खुले और बंद कर दिया जाए। मंत्रियों के इस तर्क पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तुरंत तो कोई सहमति नहीं दी, लेकिन जल्द विचार करने के संकेत दिए थे कि बैन खुल सकता है।

सूत्रों का कहना है कि सरकार को इस बात का डर था कि तबादलों से बैन हटते ही आवेदनों की संख्या काफी हो जाएगी। चुनावी साल है, ऐसे में सरकार की नकारात्मक छवि न बन जाए। कई मंत्री भी नही चाहते थे कि चुनावी साल में तबादलों से रोक हटाई जाए। अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीच का रास्ता निकालते हुए सिर्फ जिलों के भीतर ट्रांसफर करने की छूट दी है। पिछले साल 17 सितंबर से 5 अक्टूबर तब तबादले हुए थे, जबकि 2021 में 1 जुलाई से 31 जुलाई के बीच तबादलों पर से बैन हटाया गया था।

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