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  • The Team Coming In January Is Now Likely To Come After June 20, If It Is Postponed In June Then There Will Be A Paper Survey

रतलाम2 घंटे पहले

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महामारी से प्रभावित हुआ स्वच्छ सर्वेक्षण का शेड्यूल दोबारा पटरी पर नहीं आ सका है। इस बार तो हद ही हो गई। सर्वे जनवरी से लगातार आगे सरकता जा रहा है। अब फिर से अलर्ट आया है कि मैदानी हकीकत पता करने सर्वे टीम 20 जून के बाद कभी भी आ सकती है। हालांकि इसका कोई असर नहीं हुआ है क्योंकि बार-बार टलने से नगर निगम और उसके अमले की तैयारियां ठंडी पड़ गई हैं। अफसरों की माने तो जून में होने वाला स्वच्छ सर्वेक्षण भी आगे बढ़ गया तो फिर सर्वेक्षण मैदानी नहीं होगा।

बताया जा रहा है कि इसके बजाय सर्विस लेवल प्रोग्रेस (एसएलपी) में मंथली एमआईएस में भरे जाने वाली जानकारी और आंकड़ों के अनुसार ही नंबरिंग कर दी जाएगी। फिलहाल तो वीडियो कांफ्रेंसिंग में अलर्ट मिलने के बाद अफसर स्वास्थ्य विभाग को चेताने के साथ ही स्वच्छ सर्वेक्षण की तमाम गतिविधियां फिर से तेज करने में जुटे हैं। इसकी वजह है फिजिकल वेरिफिकेशन और सिटीजन फीडबैक, जिसके आधार पर ही रैंकिंग होगी। 2022 में 1 से 10 लाख आबादी शहरों में नगर निगम को देश में 30वां स्थान मिला था।

अलर्ट मिलते ही स्वच्छ सर्वेक्षण गतिविधियां तेज, फिजिकल वेरिफिकेशन व सिटीजन फीडबैक के आधार पर रैंकिंग होगी

पहले जीएफसी का सर्वे होगा

फाइनल सर्वेक्षण से पहले गार्बेज फ्री सिटी (जीएफसी) का सर्वे होना है। इसमें डोर टू डोर कचरा कलेक्शन सबसे महत्वपूर्ण रहेगा। इसके अलावा सामुदायिक शौचालयों की मरम्मत और आर्ट पेंटिंग के माध्यम से ब्यूटिफिकेशन भी करवाया जा रहा है। इस बार मुकाबला इसलिए भी कठिन है क्योंकि सर्वेक्षण के अंक 7500 से बढ़ाकर 9500 कर दिए गए हैं। इसके अनुपात में पैरामीटर भी सख्त बनाए गए हैं। इसके चलते निगम प्रत्येक पैरामीटर के अनुसार तैयारियां करवाने का दावा कर रहा है। स्वास्थ्य अधिकारी एपी सिंह ने बताया सभी मापदंडों के अनुसार सफाई और जागरूकता गतिविधिया कर रहे हैं। टीम कभी भी आए। हमारी तैयारी पूरी है।

सर्वे के अंक और सख्त मापदंड

भाग एक – सर्विस लेवल प्राग्रेस अंक – 4525 काम – डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के साथ यूज्ड वाटर, डिस्पोजल, सफाई मित्र, सेग्रिगेशन आदि।

लापरवाही से कट सकते हैं नंबर

  • डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन व्यवस्था की मॉनीटरिंग ठीक से नहीं हो रही।
  • स्वच्छता अमले को अब तक ड्रेस और साधन नहीं मिल पाए। इसकी टेंडर प्रोसेस ही चल रही है।
  • जुलवानिया ट्रेंचिंग ग्राउंड में खाद बनाने का प्लांट भी नहीं लग पाया है।
  • सामुदायिक व सुलभ शौचालयों की मरम्मत शुरू नहीं हो पाई।
  • सेनेटरी वेंडिंग मशीन सुलभ कॉम्प्लेक्स में नहीं लग पाई, स्टोर में पड़ी है।
  • नालों की सफाई थोड़े दिन चलकर फिर बंद हो गई।
  • मवेशी पकड़ने वाली टीम भी दिखाई नहीं दे रही।
  • जागरूकता गतिविधियां भी बंद हो गई हैं, जिम्मेदार संस्थाएं रस्म अदायगी कर रही हैं।

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