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छतरपुर (मध्य प्रदेश)3 मिनट पहले

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छतरपुर में केनगणाचार्य श्री विराग सागर जी महाराज के परम शिष्य जनसंत उपाध्याय श्री विरंजन सागर जी महाराज ससंघ सहित जय जय अतिशय क्षेत्र डेरा पहाड़ी पर विराजमान है। यहां उन्होंने अपने सारगर्भित प्रवचन दिए, जिसका लाभ श्रद्धालुओं ने उठाया। जहां 16 अप्रैल को डेरापहाड़ी अतिशय क्षेत्र पर एक विशाल श्रावक धर्म संस्कार शिविर मुनिश्री के ससंघ सानिध्य में लगाया जाएगा।

जैन समाज के सहमंत्री अजित जैन ने बताया कि जनसंत उपाध्याय विरंजन सागर जी ने डेरा पहाड़ी जैन मंदिर में हुए अपने प्रवचन में कहा कि जीवन मे संतो की संगति, संतो का त्याग, तप ही संसार मे उच्च है। संतो के आचरण पकड़ना चाहिए। चरण की पूजा नहीं, आचरण की पूजा होती है।

आचरण श्रेष्ठ व्यक्ति को महान बना देता है आज हर व्यक्ति आचरण विहीन होता जा रहा है। मानव आज पाश्चात संस्कृति की ओर बढ़ रहा है। परिवार में आदर सम्मान समाप्त होता जा रहा है।यही कारण है कि बच्चों आचरण विहीन हो गये हैं। संत का मार्गदर्शन और संगति हमारे जीवन मे उच्च आचरण देता है ।संत वही है जो स्वार्थ से रहित हो, राग देश से रहित हो। उपकार के धनी हो। संतो की संगति में बैठकर अपने आप को हम महान बना सकते हैं। जैसी संगति होती है वैसे हमारी संस्कार होते हैं।

23 अप्रैल को विशाल श्रावक धर्म संस्कार शिविर का आयोजन

प्रवचन सुनने सैकड़ों की संख्या में महिला-पुरुष बच्चे उपस्थित रहे। मुनिश्री के अनुसार आगामी 16 अप्रैल 23 रविवार को विशाल श्रावक धर्म (पति- पत्नी) संस्कार शिविर का आयोजन अतिशय क्षेत्र डेरापहाड़ी पर होने जा रहा है। यह शिविर सुबह 8:15 बजे से शुरू हो जाएगा। शिविर में पति-पत्नी जोड़ी के साथ सम्मिलित होंगे, जिसके संस्कार मंत्रो द्वारा होंगे। सभी समाजजनों से अधिक से अधिक संख्या में अपनी अपनी जोड़ी के साथ शिविर में शामिल होने की अपील समाज कार्यकारिणी ने की है।

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