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छतरपुर (मध्य प्रदेश)2 घंटे पहले

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महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंडी विश्वविद्यालय के चित्रकला विभाग में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टी.आर.थापक की अध्यक्षता और कुलसचिव प्रो. एस.डी. चतुर्वेदी के आतिथ्य में बुंदेलखंडी केसरी महाराजा छत्रसाल की 374वीं जयंती मनायी गई। चित्रकला विभागाध्यक्ष प्रो.एस.के.छारी द्वारा मनाई गई महाराजा छत्रसाल की प्रतिमा पर मंचासीन अतिथियों ने माल्यार्पण किया।

ग्यातव्य है कि चित्रकला विभाग द्वारा बनाई गई इस प्रतिमा का अनावरण द्वितीय दीक्षांत समारोह में मध्यप्रदेश के कुलाधिपति माननीय मंगुभाई पटेल और आमंत्रित अतिथियों ने किया था। यह प्रतिमा विश्वविद्यालय में लगाई जाएगी।

इस कार्यक्रम के अवसर पर महाराजा छत्रसाल को याद करते हुए कुलपति प्रो.टी.आर. थापक ने कहा महाराजा छत्रसाल ने लिखा है *रैयत सब राजी रहै, ताजी रहै सिपाह* अर्थात् उनका मानना था कि जब राज्य की सभी जनता खुश रहे और सैनिक व्यवस्था दुरुस्त हो, तभी राज्य समृद्धशाली हो सकता है। उनके राज्य में न्याय और नीति का शासन था।

कुलसचिव प्रो. एस.डी चतुर्वेदी ने कहा महाराजा छत्रसाल ने एक कविता में लिखा है कि निज स्वारथ सौ पाप नहीं, पर स्वारथ सौ पुन्न। दिये इकाई सुन्न ज्यो होत छता दस गुन्न। अर्थात स्वयं के स्वार्थ सिद्धि से बड़ा कोई पाप नहीं है और दूसरों का भला करने के बराबर कोई पुण्य नहीं होता है। उनके आदर्शों पर चलकर हम एक श्रेष्ठ नागरिक बन सकते हैं। आवश्यकता है उनके विचारों को आत्मसात करने की।

इस अवसर पर चित्रकला विभागाध्यक्ष प्रो.एस.के. छारी ने कहा महाराजा छत्रसाल ने अपने जीवन में 52 लड़ाईयां लड़ीं और सभी जीती भी हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि वे बहुत सशक्त, उच्च नैतिक और समृद्धशाली थे। जनता का उन्हें पूरा सहयोग प्राप्त था। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के अनेक विद्यार्थियों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार ज्ञापन प्रो. एस के छारी ने किया।

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