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बैतूल41 मिनट पहले

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एनीकट की दीवार पर धो रहे कपड़े। - Dainik Bhaskar

एनीकट की दीवार पर धो रहे कपड़े।

शहर के सरोवरों के आसपास नपा की मॉनिटरिंग भले ही काफी सख्त हो और नपा ने इन सरोवरों में कचरा डालने और कपड़े धोने से लोगों को रोक रखा हो, लेकिन शहर में पीने का पानी जिस माचना एनीकट से सप्लाई होता है उसमें लोग कपड़े धो रहे हैं।

दरअसल हाल ही में अचानक हुई बेमौसम बारिश के कारण माचना एनीकट पूरी तरह पानी से भर गया है। पानी ऊपर आ चुका है। ऐसे में सीमेंट-कांक्रीट के 10 गेटों के स्ट्रक्चर पर बैठकर लोग कपड़े धाेने आ रहे हैं। खास बात यह है कि कपड़े धोने के बाद इन्हें इसी पानी में डुबाकर खंगाला जाता है। जिससे पीने का पानी प्रदूषित होने का खतरा मंडरा रहा है।

नपा ने इस ओर ध्यान देने और यहां मॉनिटरिंग के लिए कोई इंतजाम नहीं किए हैं। हालांकि इस पानी को फिल्टर प्लांट में भेजकर इसका ट्रीटमेंट किया जाता है। लेकिन कपड़े धोने के साबुन में मिले केमिकलों का असर इससे कम होने के आसार नहीं हैं।

शहर में पेयजल सप्लाई के लिए 1972 में माचना एनीकट बनाया था। माचना नदी पर बने इस एनीकट से रॉ वाटर लेकर ही शहर में पेयजल सप्लाई की जाती है। लेकिन यह पानी पूरी तरह असुरक्षित है। वैसे तो यह प्रतिबंधित क्षेत्र है, फिर भी यहां लोग बेरोकटोक आ रहे हैं। इतना ही नहीं यहां अब कपड़े धोने भी लोगों ने शुरू कर दिए हैं।

ये कपड़े भी इस एनीकट की सीमेंट-कांक्रीट की वॉल पर बैठकर धोए जा रहे हैं। इसके बाद इस पूरे मैल को इसी एनीकट में बहा दिया जाता है। नगर पालिका इस पूरी प्रक्रिया को रोक नहीं पा रही। जबकि यहां यदि इन लोगों को नहीं रोका गया तो इसी तरह कपड़े धुलने से पूरा पानी साबुन युक्त हो जाएगा।

त्वचा के लिए भी ठीक नहीं है यह पानी

नाम नहीं छापने की शर्त पर एक डर्मिटोलॉजिस्ट ने बताया कपड़े धोने के साबुन वाले पानी से तो नहाना भी नहीं चाहिए। क्योंकि त्वचा का पीएच लेवल 5.4 से 5.9 के बीच होता है। इससे त्वचा पर मौजूद रसायनों, तेल और बैक्टीरिया का लेवल बैलेंस रहता है।

साबुन का पीएचइ 5 से 7 के बीच हो तो अच्छा होता है। लेकिन कपड़े धोने के साबुन का पीएच बहुत ज्यादा 10 के आसपास होता है। इसी कारण यह खतरनाक होता है। यदि इस पानी को त्वचा के संपर्क में लाया जाए तो त्वचा रूखी हो सकती है। जिससे काेई भी समय से पहले बूढ़ा दिख सकता है।

एक्सपर्ट व्यू
डॉ. सुभाष लव्हाले, रसायन शास्त्री

कपड़े धोने के साबुन में कास्टिक सोडा ज्यादा मात्रा में होता है। यह मानव त्वचा के लिए बेहद खतरनाक है। इसके साथ ही यह पाचन और आंतों पर भी असर डाल सकता है। इनकी लेयर आंतों को डैमेज कर सकती है।

एनीकट में कपड़े धोना गलत

माचना एनीकट से पानी लेने के बाद हम इसका ट्रीटमेंट करते हैं। इसे फिल्टर किया जाता है। फिर भी एनीकट में इस तरह कपड़े धोए जाने गलत हैं। जलप्रदाय अमले के कर्मचारियों को हिदायत दी जाएगी। यहां यदि कोई कपड़े धोता पाया जाता है तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
– अक्षत बुंदेला, सीएमओ, नपा

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