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  • Ujjain District Slipped From 27th Ranking In Elementary Education To 44th Position In The State

उज्जैन10 मिनट पहलेलेखक: आशीष दुबे

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प्रदेश स्तर पर प्रारंभिक शिक्षा के क्षेत्र में उज्जैन जिला एक बार फिर फिसड्डी साबित हुआ है। कभी भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली रहे उज्जैन की स्थिति प्रदेश की रैंकिंग में पिछड़ते हुए अब 44वें स्थान पर पहुंच चुकी है, जबकि पिछले वर्ष यह उज्जैन जिला इस रैंकिंग में 27वें स्थान पर था। खास बात यह है कि संभागीय मुख्यालय उज्जैन में होने के बावजूद संभाग के सात जिलों में भी उज्जैन जिला सबसे पीछे है।

हाल ही में स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री इंदरसिंह परमार ने प्रारंभिक शिक्षा में मध्यप्रदेश के सभी 52 जिलों का सत्र 2022-23 का रिपोर्ट कार्ड और उनकी रैंकिंग जारी की है। कुल सात मापदंडों के आधार पर कुल 100 पाइंट्स में से प्रत्येक जिले का रिपोर्ट कार्ड और उनकी रैंकिंग निर्धारित की गई है। इस रिपोर्ट कार्ड में उज्जैन जिले को कुल 100 पाइंट्स में से केवल 63.06 पाइंट्स ही मिले और उज्जैन जिले को बी-ग्रेड हासिल हुई। इसके आधार पर प्रदेश में बॉटम टॉप में उज्जैन जिला शामिल हो गया।

संभाग के सात जिलों में भी उज्जैन जिला सबसे पीछे रहा, जबकि संभाग के शाजापुर (5वीं रैंक) और नीमच (8वीं रैंक) जिले ने प्रदेश में टॉप-10 में स्थान बनाया। इसके पहले प्रारंभिक शिक्षा में भी उज्जैन जिले की बिगड़ी स्थिति सामने आई थी। जिसमें उज्जैन जिला प्रदेश के कुल 52 जिलों में से 50 जिलों में भी स्थान नहीं बनाया पाया था। इधर यह रिपोर्ट सामने आने के बाद विभाग के अधिकारी अब एक बार फिर व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने का राग अलाप रहे हैं।

हर मापदंड में कैसे पिछड़ा हमारा जिला

  • नामांकन एवं ठहराव – इस मापदंड में कुल 18 में से 11.1 अंक मिले। यानी विद्यार्थियों के नामांकन के आधार पर स्कूलों में विद्यार्थी पूरे वर्षभर नहीं रहे। ऑनलाइन मैपिंग और समयावधि में डाटा एंट्री पूरी नहीं करने के कारण कम अंक मिले।
  • सीखने के परिणाम और गुणवत्ता – इस मापदंड में कुल 27 मं से केवल 16.4 अंक मिले। स्कूलों में विद्यार्थियों के बेस लाइन और एंड लाइन टेस्ट की स्थिति के आधार पर इस मापदंड में जिले की स्थिति कमजोर रही।
  • शिक्षक व्यावसायिक विकास – इस मापदंड में कुल 10 में से 6.7 अंक मिले। यानी शिक्षकों को जो प्रशिक्षण दिए गए, उनके आधार पर उनके स्कूलों में विद्यार्थियों का उस स्तर पर सुधार दिखाई नहीं दिया।
  • समानता – इस मापदंड में कुल 15 में से 7.8 अंक मिले। यानी छात्र-छात्राओं को समान रूप से शैक्षणिक विकास और सुविधाओं के आधार पर कोई खास परिवर्तन नहीं मिला।
  • अधोसंरचना और सुविधाएं – इस मापदंड में कुल 10 में से 9 अंक मिले। जर्जर स्कूलों में सुधार कार्य में कमी के चलते इस मापदंड में शत-प्रतिशत नंबर नहीं मिल सके।
  • सुशासन प्रक्रियाएं और वित्तीय प्रबंधन – इस मापदंड में कुल 15 में से केवल 8.2 अंक मिले। यानी शासन की योजनाओं और निर्देशों का पालन भी शत-प्रतिशत नहीं हुआ। साथ ही विद्यालयों में वित्तीय प्रबंधन की स्थितियां भी बेहतर नहीं रही।
  • नव भारत साक्षरता कार्यक्रम – इस मापदंड में कुल 5 में से 3.9 अंक मिले। यानी 18 वर्ष से अधिक उम्र के असाक्षरों को भी साक्षरता के जोड़ने के शत-प्रतिशत इंतजाम नहीं किए गए।

अगली बार रैंकिंग में सुधार के प्रयास करेंगे

प्रारंभिक शिक्षा को लेकर जारी हुई रिपोर्ट में जो भी कमियां रही, उन्हें सुधारने की दिशा में कार्य किया जाएगा। जिन कामों में हम पिछड़े हुए हैं, उनमें सुधार किया जा रहा है। अब आगे यह प्रयास किया जाएगा कि अगली बार उज्जैन जिले की रैंकिंग में सुधार हो सके।
सत्यनारायण सोनी, डिप्टी कलेक्टर एवं जिला परियोजना समन्वयक

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