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- Indore Is Tasting 32 Types Of Mangoes After 5 Years, 25 30 Trucks Are Reaching Daily; Long Booking Of Andhra’s Intercession
इंदौर31 मिनट पहलेलेखक: गीतेश द्विवेदी
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गुलाब जामुन, मल्लिका, रूमानी और दिलपसंद… इनकी चाह और दीवानगी इस बार सिर चढ़कर बोल रही है, लेकिन ठहरिए।
गुलाब जामुन, मल्लिका, रूमानी और दिलपसंद… इनकी चाह और दीवानगी इस बार सिर चढ़कर बोल रही है, लेकिन ठहरिए। ये न व्यंजन हैं, न किसी को मिला कोई खिताब, जनाब ये हैं आम। ऐसे शानदार आम कि मंडियों में नारा ही चल पड़ा है, अबकी बार, आम की बहार। आमतौर पर बादाम, हापुस, केसर, लंगड़ा, दशहरी खाने वाले इस शहर ने वर्षों बाद एक, दो नहीं, पूरे 32 किस्म के आमों का स्वाद चखा है।
मौसम की बेरुखी फलों को असमय पेड़ों से टपकाया, लेकिन आम ने किसी को निराश नहीं किया। आंध्र से बादाम आना कम हुआ तो उत्तरप्रदेश ने भरपाई कर दी। चौसा, दशहरी, फजली जैसे आमों के ट्रक इंदौर आ रहे हैं। पायरी, हिमायत और मल्लिका तो वर्षों बाद नजर आए। हिमायत के लिए तो कैटरिंग कारोबारी बुकिंग तक कर रहे हैं, क्योंकि इसका रस हापुस की टक्कर का बनता है।

मार्च से जुलाई तक का आम फिक्स
– मार्च-अप्रैल में आम के सीजन की शुरुआत बादाम, सुंदुरी और लाल पत्ता से हुई। वह अच्छी मात्रा में आया, बादाम तो अब भी आ रहा। ये आम
आंध्रप्रदेश से आते हैं।
– मई में आम का बाजार संभाला गुजरात के केसर, राजापुरी ने। जून में अब इनकी आवक कम हो रही तो उप्र से लंगड़ा, दशहरी, चौका, पजली, डिंगा और सिरोली आना शुरू हो गए हैं। ये आम जुलाई अंत तक मिलते रहेंगे।
80% मांग की पूर्ति तीन राज्यों से
इंदौर फ्रूट मर्चेंट एसोसिएशन के स्थायी सचिव नरेश फुंदवानी ने बताया कि आंध्र, गुजरात और उत्तरप्रदेश ही हमारी डिमांड के 80 फीसदी आम की पूर्ति कर देते हैं। अभी हर दिन 20 से 25 ट्रक आम आ रहा। यानी हर दिन औसत 20 टन आम की बिक्री हो रही।
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