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मंदसौर13 मिनट पहले

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मौके पर हाजरी रजिस्टर को देखकर नाराजगी जाहिर करते सीएमओ व नपाध्यक्ष। - Dainik Bhaskar

मौके पर हाजरी रजिस्टर को देखकर नाराजगी जाहिर करते सीएमओ व नपाध्यक्ष।

नपा के जिम्मेदार जिनके भरोसे सफाई में अव्वल आने का दावा करते नहीं थक रहे थे, सिर्फ दो घंटे में उसकी हकीकत सामने आ गई। बुधवार सुबह नपाध्यक्ष सहित सीएमओ, स्वास्थ्य सभापति प्रतिनिधि और एचओ ने शहर के 3 वार्डों का निरीक्षण किया। इसमें से आधे ही सफाई कर्मचारी मौके पर मिले, बाकी के अते- पते नहीं थे।

मौके पर 20 अनुपस्थित कर्मचारियों का एक दिन का वेतन काटने के निर्देश दिए। साथ ही एक दारोगा की सेवा समाप्ति की कार्रवाई की गई। मंदसौर पांच साल से स्वच्छता अवाॅर्ड से दूर क्यों है, यह कहानी नपाध्यक्ष सिर्फ 2 घंटे में ही समझ गईं। निरीक्षण आकस्मिक हुुआ, सूचना देकर पहुंचतीं ताे सब चकाचक ही मिलता।

बुधवार सुबह 8 बजे नपाध्यक्ष रमादेवी गुर्जर सफाई व्यवस्था का हाल देखने सीएमओ सुधीरकुमारसिंह, स्वास्थ्य समिति सभापति प्रतिनिधि रामेश्वर मकवाना व स्वास्थ्य अधिकारी हेमचंद शर्मा के साथ सबसे पहले बालागंज क्षेत्र के वार्ड 16 में पहुंची। यहां प्रभारी सफाई दरोगा से सफाई व्यवस्था की जानकारी ली। सीएमओ एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने हाजिरी रजिस्टर देखा।

मौके पर 14 में से 9 सफाई कर्मचारी नदारद मिले और क्षेत्र में गंदगी पसरी नजर आई। यहां से वार्ड 33 में पहुंचीं। यहां भी 14 में से 8 सफाई कर्मचारी नदारद थे। फिर वार्ड 32 खानपुरा में भी 12 में से 3 अनुपस्थित मिले। इस तरह 2 घंटे के निरीक्षण में ही 3 वार्डों के कुल 40 में से 20 सफाई कर्मचारी अनुपस्थित मिले।

इनका सीएमओ ने एक दिन का वेतन काटने के निर्देश दिए। साथ ही वार्ड 33 के सफाई दारोगा रोहित कोड़ावत की सेवा समाप्ति के निर्देश दिए। हैरानी की बात ये है कि ये हाल सिर्फ तीन वार्ड के ही हैं, बाकी के 37 वार्डों की सफाई व्यवस्था व सफाई कर्मचारियों के क्या हाल होंगे, यह तो नपा के जिम्मेदार ही जानें।

कागज में 822 कर्मचारी दर्ज लेकिन फील्ड पर आधे भी नहीं दिखते
नियमानुसार सुबह 6.30 से 10.30 बजे तक कर्मचारियों को मौके पर रहकर सफाई करना होती है लेकिन कई कर्मचारी नदारद रहते हैं। नपा ने कागज में भले ही सफाई के नाम पर 822 कर्मचारियों (इनमें स्थायी 169, मस्टर सफाई कर्मचारी 288, विनियमित 103 तथा संविदा 262) को दर्शा रखा है लेकिन ये कहां व कब काम करते हैं, कुछ मॉनिटरिंग ही नहीं है।

वेतन समेत सफाई का सवा करोड़ मासिक खर्च होने के बावजूद शहर के लोग गंदगी की शिकायत करते हुए थक चुके हैं लेकिन नपा ने इस ओर ध्यान देना ही उचित नहीं समझा। बुधवार को फील्ड पर निकलने नपाध्यक्ष व सीएमओ तो 2 घंटे में ही कहानी समझ गए। हालांकि मामले को जिम्मेदार कितनी गंभीरता से लेते हैं यह तो आगामी समय ही बताएगा या फिर इनको हर बार की तरह अभयदान प्राप्त हो जाएगा।

दूसरे शहराें काे मिल रहे स्वच्छता तमगे, हमें सफाई के लिए ही करना पड़ रही मशक्कत

स्वच्छता का तमगा मिलने से संबंधित शहरों की छवि सुधर रही है। यही कारण है कि हर साल नई-नई निगम, पालिका व परिषदें इसमें रजिस्ट्रेशन करवा रही हैं। रुचि बढ़ने से प्रतिस्पर्धा भी बढ़ गई है। 2016 में जब स्वच्छ सर्वेक्षण की शुरुआत हुई थी तो देशभर से केवल 73 शहर ने सहभागिता की थी लेकिन 2017 में 434, 2018 में 4203, 2019 में 4237, 2020 में 4242, 2021 में 4320 और 2022 में 4355 शहरों ने इसमें भाग लिया है।

इस बार भी इतने ही रजिस्ट्रेशन हैं। ऐसे में हमारी नगरपालिका को ज्यादा मेहनत करना होगी लेकिन सफाई कर्मचारी ही सुन नहीं रहे हैं, इसीलिए सफाई कराने के लिए बड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा है।

अब 4 वार्डों पर एक प्रभारी होगा नियुक्त
सफाई व्यवस्था में लापरवाही सामने आने के बाद नपा अब नई कार्ययोजना तैयार कर रही हैं। इसके तहत अब 4 वार्डों पर एक प्रभारी के तौर पर अधिकारी को नियुक्त करने की योजना बनाई जा रही है ताकि सफाई कर्मचारियों की मनमानी पर अंकुश लग सके।

कर्मचारियों की लापरवाही सामने आई, अब कड़ा एक्शन होगा

लंबे समय से प्रयास के बावजूद कोई रिजल्ट सामने नहीं आ रहा था। मामले में सफाई कर्मचारियों की लापरवाही सामने आई है। अनुपस्थित मिले 20 कर्मचारियों का एक दिन की वेतन काटने व एक दारोगा की सेवा समाप्ति की कार्रवाई की है। अब कड़ा एक्शन होगा, अब कहीं भी लापरवाही या अनियमितता मिलती है तो संबंधित की सेवा समाप्त करके नई भर्ती की जाएगी। सुधीरकुमारसिंह, सीएमओ, नपा मंदसौर

2018 से 2022 तक स्वच्छता रैंकिंग ऐसी रही

  • 2018 स्टेट रैंक 03, नेशनल वेस्ट जोन रैंक 24
  • 2019 स्टेट रैंक 24, नेशनल वेस्ट जोन रैंक 104
  • 2020 स्टेट रैंक 13, नेशनल वेस्ट जोन रैंक 50
  • 2021 स्टेट रैंक 16, नेशनल वेस्ट जोन रैंक 63
  • 2022 स्टेट रैंक 09, नेशनल वेस्ट जोन रैंक 32

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