रतलाम के गुणावद में स्थित है शिव शक्ति धाम, मंदिर में मौजूद खंभों से निकलते ही व्यक्ति के पाप-पुण्य आते हैं सामने.
रतलाम (दिव्यराज राठौर): हिंदू शास्त्रों के अनुसार, मृत्यु लोक में हर व्यक्ति के पाप और पुण्य का लेखा जोखा होता है. जहां उन्हें कर्मों के अनुसार अच्छी और बुरी गति भोगना पड़ती है. लेकिन इस कलयुग में भगवान शिव और शक्ति के एक धाम में पाप और पुण्य का हिसाब होता है. मान्यता है कि भगवान शिव के मंदिर में स्थित खंभों के बीच से गुजर कर व्यक्ति अपने पुण्य और पाप का अनुभव स्वयं कर सकता है.
भगवान शिव और हिंगलाज माता का यह अनोखा धाम रतलाम जिले के गुणावद गांव में स्थित है. मलेनी नदी के किनारे पर स्थित इस शक्तिपीठ को 52 शक्तिपीठों में शामिल किया गया है. विद्वानों के अनुसार गुणावद को अर्ध शक्तिपीठ की उपाधि दी गई है.
गुणावद गांव में मां मलेनी के किनारे पर भगवान शिव और हिंगलाज माता के 2 मंदिर स्थित है. यह दोनों ही मंदिर परमार कालीन बताए जाते हैं. भगवान शिव के मंदिर में स्थित 56 खभों में से 4 स्तंभ इस प्रकार लगाए गए हैं कि उनके बीच से निकलना सामान्य व्यक्ति के लिए थोड़ा मुश्किल होता है. इन्हीं में से 2 खंभों को पुण्य के खंभे और 2 को पाप के खंभे के रूप में जाना जाता है.
मंदिर के पुजारी के मुताबिक इन खंभों के बीच से निकलने पर श्रद्धालुओं को अपने पाप और पुण्य का एहसास होता है. उन्हें अपने द्वारा किए गए अच्छे और बुरे कार्य याद आते हैं. पुण्य के खंभों के बीच से निकलना थोड़ा आसान है, क्योंकि व्यक्ति जीवन में अच्छे कर्म तो करता ही है. लेकिन जैसे ही पाप के इन संकरे शिला स्तंभों के बीच से गुजरने का प्रयास करते हैं तो कुछ समय के लिए हर व्यक्ति इन स्तंभों के बीच में फंस जाता है.
कई लोग निकल भी नहीं पाते हैं. इन खभों के बीच फंसने पर व्यक्ति को अपने द्वारा किए गए पापों का एहसास होता है. वह भगवान भोलेनाथ से प्रार्थना करता है अपने कर्मों के लिए प्रायश्चित करता है. ऐसा करने पर खम्भों के बीच फंसे हुए व्यक्ति धीरे धीरे प्रयास कर निकल जाते हैं.
गांव के सतपाल सिंह के मुताबिक यह मान्यता पीढ़ियों से चली आ रही है. दूर-दूर से लोग यहां अपने पाप और पुण्य का हिसाब करने पहुंचते हैं.” एक अन्य श्रद्धालु चिमनलाल ने बताया, “यहां आने वाले व्यक्ति के पाप और पुण्य का फैसला मंदिर के यह चार स्तंभ करते हैं. यदि व्यक्ति के पुण्य अधिक है तो उसे पुण्य के खंभों से निकलते ही पता चल जाएगा. वहीं अगर उसके पाप कर्म अधिक हैं, तो पाप के खंभे स्तंभ उसे आगे बढ़ने से रोक देते हैं. मान्यता है कि भगवान भीमलोचन महादेव से क्षमा याचना करने के बाद भक्तों को पापों से मुक्ति मिल जाती है और वो इन खंभों से निकल जाता है.”
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