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इंदौर37 मिनट पहले

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केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने शुक्रवार को 10वीं और 12वीं का रिजल्ट जारी कर दिया। परीक्षा परिणाम में शहर के कई बच्चे बाजी मारकर टापर्स बनें। परसेंट को लेकर दिनभर उठा-पटक चलती रही। दिनभर स्टूडेंट्स के साथ उनके माता-पिता रिजल्ट देखते रहे। जिन स्टूडेंट्स का अच्छा रिजल्ट आया, वे खुशी से फूले नहीं समाए। हालांकि बोर्ड ने अभी मेरिट लिस्ट नहीं जारी की है।

इंदौर में 10वीं में 15 हजार स्टूडेंट्स परीक्षा में शामिल हुए थे। 12वीं में यह संख्या साढ़े 12 हजार से ज्यादा थी। ह्यूमैनिटीज सब्जेक्ट में सत्य सांई विद्या विहार स्कूल की अनुश्री सिन्हा को 12वीं में 98.6 प्रतिशत मार्क्स मिले हैं। इसी स्कूल की मान्या गुप्ता ने 98 परसेंट हासिल कर पीसीएम में बाजी मारी है।

स्टूडेंट्स बोले-​ ​​​​​​टीचर्स की मेहनत और दिन-रात पढ़ने का आया है नतीजा

ह्यूमैनिटीज सब्जेक्ट में 98.6 परसेंट हासिल करने वाली अनुश्री बताती हैं कि स्कूल टीचर्स की गाइडेंस से दिन-रात मेहनत करने का यह परिणाम आया है। स्कूल में जो पढ़ाया जाता था उसे घर पहुंचकर हार्ड और कंसिस्टेंसी के साथ रिवीजन किया करते थे। क्वांटिटी ऑफ टाइम की अपेक्षा क्वालिटी ऑफ स्टडी ज्यादा मायने रखती है। इसलिए कभी भी टाइम स्लॉट में पढ़ाई नहीं की।

CBSE बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट आने के बाद स्टूडेंट्स के चेहर पर दिखी मुस्कान

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अनुश्री सोशल मीडिया में कम समय देती थी। वह कहती हैं कि सोशल मीडिया से जब आप डिस्ट्रैक्ट होते हैं तो आपको आपकी प्रायोरिटी की पहचान होती है। तब अपने आप इससे दूरी बन जाती है। उनका मानना है कि स्टूडेंट सोशल मीडिया का यूज करें लेकिन एग्जाम के आखरी समय में अच्छा स्कोर बनाने के लिए सैक्रिफाइस करना पड़ेगा।

कथक का शौक रखने वाली अनुश्री ने बताया कि पढ़ाई को लेकर घर पर पॉजिटिव माहौल था। परिवार का पूरा सहयोग मिलता था। इसीलिए 12वीं के साथ कथक और तबले पर विशारथ भी हासिल कर ली। अब वह सिविल सर्विस में आईएफएस और आईएएस बनना चाहती हैं।

कोचिंग नहीं, खुद से की मेहनत

कक्षा 12 वीं में 98% अंक हासिल करने वाली मान्या गुप्ता बताती हैं कि स्कूल में जो पढ़ाया जाता था उसे घर पहुंचकर बार-बार हल करते। जितना भी समय मिलता सवालों को हल करने में बिता देते। कई बार तो ऐसा भी होता था कि भोजन की थाली सामने रखी रहती और खाने को भूल जाते। मान्या कोचिंग क्लास नहीं ज्वाइन की थी। जितना स्कूल में टीचर्स पढ़ा देते थे उसी के भरोसे रहती। पढ़ाई के दौरान जो भी डाउट्स रहते उसे नोट कर टीचर्स से सुझाव पूंछते इससे डाउट्स क्लियर हो जाते थे।

12 घंटे की पढ़ाई में थक जाता था ब्रेन

मान्या का कहना है कि वह 12 घंटे पढ़ाई करती थी। इससे ब्रेन थकने लगता इसलिए स्पोट्स की तरफ थोड़ा ध्यान लगाना शुरू कर दिया। पढ़ाई के साथ-साथ खेलने भी जानें लगी। सुबह रनिंग करने से पढ़ाई में पाजिटिव एनर्जी मिलती थी। इधर, पियानो और म्यूजिक की शौकीन श्रीया चौधरी को 96.8 प्रतिशत मार्क्स मिले हैं। इनका कहना है कि वे दिन में 12 से 13 घंटे पढ़ाई करती थी। JEE Main का एग्जाम उत्तीर्ण कर लिया है। अब वह इंजीनियर बनना चाहती हैं।

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