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भोपाल40 मिनट पहलेलेखक: विजय सिंह बघेल
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राजनीति में जैसा दिखाई देता है, वैसा असल में होता नहीं है। कैमरे के सामने जो नेता एक दूसरे पर बयानी तीर छोड़ते रहते हैं। कैमरे के पीछे वो साथ नजर आते है। हाल ही में कुछ ऐसा ही नजारा दिखा, तो सियासी गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं होने लगी।
हुआ यूं कि कांग्रेस के एक सीनियर लीडर और पूर्व मंत्री बड़ी खामोशी से एक दमदार मंत्री से मिल आए। खास बात यह है कि नेता जी ना तो अपने सहयोगियों को साथ ले गए और ना ही सुरक्षाकर्मियों को। वे खुद कार ड्राइव कर मंत्री के बंगले पर पहुंचे। यहां दोनों के बीच अकेले में मीटिंग हुई।
दरअसल चुनावी साल में प्रदेश में दलबदल का मौसम चल रहा है। ऐसे में इस मीटिंग को लेकर कयासबाजी शुरू हो गई है। हालांकि मालवा से आने वाले ये नेताजी कट्टर कांग्रेसी कहे जाते है और अपने बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। उनकी मुलाकात जिस मंत्री से हुई, बीजेपी के पंडित जी के रूप में भी उनकी ख्याति है।
नए दल में दम दिखाएंगे ‘दादा’
3 बार विधायक, दो बार मंत्री रह चुके, बुंदेलखंड की राजनीति के ‘दादा’ ने फिर से पाला बदल लिया है। उन्होंने अब एक नए दल का दामन थाम लिया है। ये वही ‘दादा’ है जो कांग्रेस और बीजेपी दोनों की सरकारों में मंत्री रह चुके हैं।
ओबीसी वर्ग के इस बड़े नेता ने कई चुनाव में हार का मुंह भी देखा, लेकिन ये मन से हार मानने को तैयार नहीं हैं। हाथी, पंजा और कमल के फूल वाली पार्टी में रहने के बाद ‘दादा’ अब झाड़ू वाली में अपना करियर देख रहे हैं। कभी कद्दावर नेता रहे ये ‘दादा’ कितना दम दिखाएंगे ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन बुंदेलखंड में ये सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी कांग्रेस के समीकरण जरूर बिगाड़ सकते हैं।
सुना तो ये भी है कि ‘झाड़ू’ थामने से पहले ये ‘साइकिल’ पर सवारी की तैयारी में भी थे। अपनी ही बिरादरी के एक पार्टी के प्रमुख से इनकी मुलाकात भी हुई थी, लेकिन बात बन नहीं पाई। ‘दादा’ के मन में 2018 के चुनाव में अपने बेटे की हार और उपचुनाव में खुद की हार की कसक भी है। जिसका बदला लेने के लिए उन्हें किसी बड़े प्लेटफॉर्म की जरूरत थी। इसी के चलते इन्होंने दो राज्यों में सत्ता पर काबिज एक पार्टी का पल्ला पकड़ लिया है।
हेल्थ डिपार्टमेंट में साहब की दोस्ती के चर्चे
सतपुड़ा भवन की आग में प्रदेश के जिस हेल्थ डिपार्टमेंट के दफ्तर के कई दस्तावेज जलकर खास हो गए। उस दफ्तर में तैनात एक साहब की दोस्ती की चर्चा जोरों पर है। खरीदी से लेकर सप्लाई तक का काम संभालने वाले इस दफ्तर के ये साहब अपने खास दोस्त को दूसरे शहर से राजधानी में ले आए हैं। साहब के मातहत इस बात से परेशान हैं कि साहब के दोस्त अहम बैठकों में शामिल रहे हैं।
कागजों पर दस्तखत भले साहब के हों, लेकिन फैसलों में ‘मित्र’ की राय को अहमियत मिल रही है। सुना तो ये भी है कि साहब ने अपने डॉक्टर दोस्त की मनमाफिक पोस्टिंग का ऑर्डर भी जारी कराने की तैयारी कर ली है। हालांकि ये आधिकारिक तौर पर बाहर नहीं आया। साहब पहले जब इस दफ्तर में तैनात थे, तब उनके यह मित्र यहां पदस्थ थे। अब एक बार फिर से दोनों की दोस्ती परवान चढ़ रही है।
बीजेपी विधायक के धार्मिक प्रोजेक्ट में विरोधियों को दिख रहा ‘काला’
मध्यप्रदेश में मिशन 2023 की अब उल्टी गिनती शुरू हो गई है। ऐसे में नेता धर्म की नैया पर सवार होकर चुनावी वैतरणी पार करने चाहते हैं। इसीलिए हर कोई कथा, भजन-कीर्तन और अन्य धार्मिक आयोजन कराने में व्यस्त हैं। ऐसे में सूबे के सबसे अमीर विधायकों में से एक विधायक अपने इलाके के एक पर्वतीय क्षेत्र को धार्मिक तीर्थ बनाने जा रहे हैं। कभी कांग्रेस में रहे विंध्य-महाकौशल बॉर्डर पर राजनीति के माहिर इस नेता ने हाल ही में बड़ा धार्मिक आयोजन कराया। जिसमें साधु-संत समेत कई नेता मौजूद रहे।
नेता जी भले ही बड़े स्पिरिचुअल इन्वेस्टमेंट की तैयारी में है, लेकिन विरोधियों को दाल में काला नजर आ रहा है। विरोधियों ने नेता जी के इस धार्मिक प्रोजेक्ट की खामियां खोज ली है। उन्होंने इसे लेकर पुख्ता सबूत और दस्तावेज भोपाल में श्यामला हिल्स में एक बंगले तक पहुंचा दिए हैं। जहां इन पर स्टडी का काम शुरू हो गया है। कागजों में यह देखा जा रहा है कि धर्म की आड़ में कहीं कोई हिडन एजेंडा तो नहीं चलाया जा रहा है। हालांकि मामला धर्म से जुड़ा है, इसलिए अभी राजनीतिक बयानबाजी के बजाए चुप्पी साध रखी है। अब देखना ये है कि विरोधी खेमा इन कथित सबूतों पर क्या कदम उठाता है।
कांग्रेस का दिग्गज मंत्रियों का हराने का प्लान
मध्यप्रदेश में कांग्रेस सत्ता वापसी के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है। पार्टी का फोकस उन सीटों पर जहां उसे लगातार हार का मुंह देखना पड़ा रहा है। ऐसे में कांग्रेस अब बीजेपी के दिग्गज नेताओं और मंत्रियों को उन्हीं के घर में घेरने के लिए खास प्लान बना रही है। पार्टी की नजर सत्ताधारी दल के ही उन नेताओं पर है, जो अपनी पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। ऐसे ही नेताओं को मैदान में उताकर कांग्रेस हार का सूखा दूर करना चाहती है।
चंबल, बुंदेलखंड और मालवा क्षेत्र के मंत्रियों के खिलाफ कांग्रेस की ऐसे नेताओं से चर्चा चल रही है जो मंत्रियों को पटखनी देने के लिए रण में उतरने को तैयार हों। इनमें कुछ नेता तो ऐसे हैं जिन्हें सरकार ने मंत्री का दर्जा दिया हुआ है। हालांकि अभी ये नेता बगावती सुर दिखाकर और बागी होने की खबरें चलवाकर अपनी पार्टी पर प्रेशर बना रहे हैं। साथ ही विपक्षी दलों में भी संभावनाएं तलाश रहे हैं। दतिया, छतरपुर, धार, सागर में इसका असर देखने को मिल सकता है।
और अंत में…
अब ‘महाराज’ समर्थक मंत्री पर अपनों का जुबानी हमला
चुनावी साल में सत्ताधारी बीजेपी में आंतरिक कलह थमने का नाम नहीं ले रहा है। सागर के बीजेपी नेताओं के बीच विवाद के बाद अब ‘महाराज’ समर्थक एक मंत्री पर अपनों ने ही जुबानी हमला बोला है। सत्ताधारी दल के एक विधायक ने मंत्री की शिकायत की है। खास बात ये है कि ये सब ‘सरकार’ के सामने ही हो रहा है। ‘सरकार’ सबको समझा रहे हैं कि ये वक्त आपस में उलझने का नहीं, बल्कि 200 पार के टारगेट को पूरा करने का है। लेकिन स्थिति ‘एक हाथ जोड़ते हैं, डेढ़ हाथ टूट जाता है’ जुमले की तरह हो रही हैं।
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