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  • Duty Was Engaged In Receiving ‘Saheb’, His Name Was Cut On The Last Occasion, PCC Chief Was Looking For A House Piercer

भोपाल22 मिनट पहलेलेखक: विजय सिंह बघेल

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मध्यप्रदेश में एक मंत्री के ग्रह-नक्षत्र इन दिनों ठीक नहीं चल रहे हैं। वैसे ये मंत्री ‘सरकार’ के खास माने जाते हैं, लेकिन अपनों ने ही ‘सरकार’ से इनकी शिकायत कर दी थी। इस झंझट से निकले नहीं थे कि विपक्ष की शिकायत पर संपत्ति की जांच शुरू हो गई। अब ये मामला दिल्ली दरबार में पहुंच गया है। जिसका असर प्रधानमंत्री मोदी के भोपाल दौरे के दौरान देखने को मिला।

हुआ यूं कि मंत्री जी को प्रधानमंत्री की अगवानी में तैनात किया गया था, लेकिन ऐन मौके पर उनका नाम हटवा दिया गया और उन्हें दिल्ली तलब कर लिया गया। सुना है कि मंत्री जी दो दिन तक दिल्ली में यहां वहां सफाई पेश करते रहे।

वैसे मंत्री कहते रहे हैं कि हमारे पुरखे बडे़ जमींदार रहे हैं। हम खानदानी पैसे वाले हैं। जो कमाया उसे हमने ही लिखित में हलफनामे में बताया है। उसी हलफनामे को आधार बनाकर विरोधी छवि खराब कर रहे हैं। वैसे मंत्री ने आरोप लगाने वाले विरोधियों पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी थी, लेकिन अब तक ऐसा कोई कदम उठाया नहीं है।

मंत्री जी बुंदेलखंड के ताल्लुक रखते हैं और हाल ही में अपने ही दल के नेताओं के साथ वर्चस्व की लड़ाई को लेकर चर्चा में आए थे।

कम से कम ‘हां’ तो कर दो

धार्मिक नगरी से आते हैं, महाकाल के भक्त हैं, मंत्री हैं… लेकिन इन दिनों उदास हैं, परेशान हैं। संघ की पृष्ठभूमि से आए नेता जी चाहते है कि उनके इलाके में एक मेडिकल कॉलेज बन जाए। कैबिनेट से इसे मंजूरी मिल जाए। इसके लिए मंत्री जी ने अपने साथी मंत्रियों को तो राजी कर लिया, लेकिन अफसरों ने हामी नहीं भरी।

अब चुनाव सिर पर है। जनता के बीच जाना है। मंत्री जी क्या करते। गुहार लगाई कि कम से कम मेडिकल कॉलेज की सैद्धांतिक सहमति ही करा दीजिए। ताकि लोगों से कह सके कि जल्द ही औपचारिक मंजूरी कराकर बजट भी अलॉट करा लेंगे। लेकिन नेता जी को निराशा ही हाथ लगी। ऐसी ही निराशा बुंदेलखंड के ‘राजा’ की झोली में भी आई। ये भी अपने जिले में मेडिकल कॉलेज खुलवाना चाहते हैं।

धार्मिक नगरी वाले नेता जी को लेकर अंदर की खबर ये है कि मंत्री जी के पावरफुल होने के चलते उनके अपने ही उन्हें घेरने में जुटे हैं। ये वही मंत्री है जो जमीन के मामले को लेकर सुर्खियों में हैं।

कांग्रेस घर का भेदी कौन?

कांग्रेस को हाल ही में दक्षिण भारत के एक राज्य में सत्ता मिली है। कांग्रेस ने वहां चुनावी जीत के लिए एक सोशल कैंपेन का एक्सपेरिमेंट किया था, जो सफल रहा। पार्टी मध्यप्रदेश में भी कुछ ऐसा ही प्रयोग करने की तैयारी में थी। कैंपेन शुरू करने पर विचार-मंथन चल ही रहा था कि दांव उल्टा पड़ गया। प्लान आउट हो गया और राजधानी की सड़कों पर पोस्टर के रूप में नजर आया।

सुना है साहब इससे काफी खफा चल रहे हैं। अब घर में ही घर का भेदी खोजा जा रहा है। पता किया जा रहा है कि आखिर किसने विरोधियों तक पार्टी की प्लानिंग पहुंचा दी। इसे लेकर ये कहा जा रहा है कि ये आपसी टांग खिंचाई का नतीजा है।

वैसे पीसीसी दफ्तर को लेकर ये भी देखने आ रहा है कि 15 महीने की सत्ता जाने के बाद कई चेहरों ने यहां झांका तक नहीं। अब बदलाव की उम्मीद दिख रही है तो चक्कर काट रहे हैं। हालांकि साहब का कोई भी सिलेक्शन और सेटेस्फेक्शन आसानी से नहीं होता। अब वे बुरे वक्त के वफादारों पर भरोसा करते हैं या अचानक एक्टिव हुए ‘चतुरों’ को फ्रंटलाइन में लाते हैं, ये देखने वाली बात होगी।

दो बड़े अफसर आमने-सामने

‘सरकार’ का कामकाज संभालने वाले दो बड़े अफसर आमने सामने आ गए हैं। एक साहब बड़े साहब की विदाई के बाद फुल पावर में आने की आस लगाए बैठे हैं, लेकिन उनके हाथ निराशा लगी है। दोनों ही अफसर अपनी योग्यता के आगे एक-दूसरे की बात को तवज्जो नहीं देते। दोनों में फैसलों को तकरार बढ़ती जा रही है। अब छोटे साहब ने मन बना लिया है कि वे अब दूर चले जाएंगे। उन्होंने दिल्ली दरबार में जाने की कवायद शुरू कर दी है।

सरकार ने अब ऑफ किया नेता जी का ‘पावर’

कांग्रेस के सत्ता से बेदखल होने और बीजेपी के फिर से सत्ता में आने के बाद भोपाल के कट्टर हिंदूवादी नेता की छवि वाले एक नेता को विधानसभा में अहम ओहदा मिला था। लंबे समय तक इस ओहदे पर रहकर नेताजी ने रिकॉर्ड बनाया। इस दौरान नेता जी ने अपने पावर में इजाफा कराया और अपने क्षेत्र की जनता और विकास पर जमकर पैसा खर्च किया।

नेता जी 8 महीने बाद पद से हटे, लेकिन जलवा आज भी बरकरार है। बिना पोर्टफोलियो के ही पुलिस का फॉलो वाहन आज भी नेता जी के आगे दौड़ता है। इसके करीब दो साल का वक्त गुजरने के बाद अब सरकार को याद आया कि काम चलाऊ सभापति को जो पावर दिए थे, उन्हें समाप्त करना है। लिहाजा अब जाकर सरकार ने अस्थायी अध्यक्ष के उनके अधिकार खत्म किए।

और अंत में…

अधर में अटकी ‘बाहुबली’ की एंट्री

यूपी के एक ‘बाहुबली’ नेता वहां के ‘बाबा’ के निशाने पर हैं। नेता जी के घर-बार, जमीन-जायदाद सब सरकार ने अपने कब्जे में ले ली। इतना ही नहीं नेता जी कानूनी शिकंजे में ऐसे उलझे कि 7 महीने जेल में रहकर आए। एमपी-यूपी बॉर्डर पर राजनीति करने वाले ये नेता जिस दल में है, उन्हें यूपी में सरकार में आने की उम्मीद भी नजर नहीं आ रही है। लिहाजा उन्होंने एमपी में विपक्षी खेमे में आने का मन बनाया। लेकिन उनकी एंट्री अधर में अटक गई है।

सुना है कि एमपी के प्रमुख विपक्षी दल के एक बड़े नेता के जरिए उन्होंने साहब से बात भी की। साहब ने भी यूपी में उनके दल के मुखिया से बात की। वहां से सहमति भी मिली। अब चूंकि नेता जी यूपी से ताल्लुक रखते हैं तो साहब फिलहाल उन्हें अपने खेमे में शामिल करने से पीछे हट गए हैं। दरअसल साहब को इस बात की आशंका है कि यूपी से लाकर किसी को टिकट देंगे तो विरोधी दल मुद्दा बनाएगा। फिर क्या था नेता जी की एंट्री टल गई। बता दें कि यूपी के इस बाहुबली नेता की पत्नी मध्यप्रदेश विधानसभा की सदस्य रह चुकीं हैं।

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मंत्री ने मंच पर झटक दिया पूर्व मंत्री का हाथ

लगता है बीजेपी के ‘भाऊ’ के दिन अच्छे नहीं चल रहे हैं। हुआ यूं कि नेता जी के गृह जिले में बीजेपी का एक बड़ा प्रोग्राम था। चूंकि वे पार्टी के बड़े चेहरे हैं, इसीलिए मंच पर मौजूद थे। इस दौरान एक बड़ी सी माला से मंच पर मौजूद नेताओं का स्वागत किया गया। ‘भाऊ’ ने भी माला के घेरे में जैसे तैसे अपनी जगह बनाई। सभी नेता हाथ हिलाकर जनता का अभिवादन कर रहे थे। तभी ‘भाऊ’ के हाथ उठाने से एक मंत्री का चेहरा नहीं दिख रहा था। फिर क्या था, मंत्री ने उनका हाथ झटक दिया। नेता जी मायूस होकर सावधान की मुद्रा में खड़े रह गए। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…

बीजेपी के पंडित जी से कांग्रेस नेता की गुपचुप मुलाकात

राजनीति में जैसा दिखाई देता है, वैसा असल में होता नहीं है। कैमरे के सामने जो नेता एक-दूसरे पर बयानी तीर छोड़ते रहते हैं, कैमरे के पीछे वो साथ नजर आते हैं। हाल ही में कांग्रेस के एक सीनियर लीडर और पूर्व मंत्री बड़ी खामोशी से एक दमदार मंत्री से मिल आए। खास बात यह है कि नेता जी ना तो अपने सहयोगियों को साथ ले गए और ना ही सुरक्षाकर्मियों को। वे खुद कार ड्राइव कर मंत्री के बंगले पर पहुंचे। यहां दोनों के बीच अकेले में मीटिंग हुई। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…

बड़े अफसर पर बिफरे मंत्री, ‘सरकार’ ने सुन ली बात

चुनाव जीतकर आए जनप्रतिनिधियों की शिकायतों से परेशान एक मंत्री एक अफसर पर बिफर पड़े। ऊंची आवाज में उन्हें खूब खरी-खोटी सुनाई। चूंकि ये वाकया ‘सरकार’ के घर पर हुआ, इसलिए अफसर को पड़ रही फटकार उनके कानों तक पहुंच गई। फिर क्या था, जो काम कई महीनों से नहीं हो रहा था, वो फटाफट हो गया। पूरी खबर यहां पढ़ें

भले मंत्री बन जाएं, ये कमरा तो नहीं छोड़ेंगे

कांग्रेस के एक विधायक ऐसे हैं, जो पिछले चार बार से लगातार चुनाव जीत रहे हैं। साइकिल की सवारी कर पहली मर्तबा विधानसभा पहुंचे। इसके बाद राष्ट्रपति के चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार को वोट दिया तो उन्हें कांग्रेस से विधानसभा आने का ऑफर मिल गया। इसके बाद परिसीमन हुआ तो विधायक जी को सीट बदलनी पड़ी। वे वर्ल्ड टूरिस्ट प्लेस से लगातार तीसरी बार एमएलए बनते आ रहे हैं। जब 2018 में कांग्रेस की सरकार आई, तो विधायक की सीनियरिटी देखते हुए उन्हें एमएलए रेस्ट हाउस के बजाए बडे़ बंगले का ऑफर मिला, लेकिन विधायक जी ने 2003 में अलॉट हुआ पुराना पारिवारिक खंड का कमरा नहीं छोड़ा। पूरी खबर यहां पढ़ें

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