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सागर2 घंटे पहले

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रेलवे ट्रैक पर भी घूम रहे पशु। - Dainik Bhaskar

रेलवे ट्रैक पर भी घूम रहे पशु।

16 मई से चल रही डेयरी विस्थापन की मुहिम के 36वें दिन बुधवार को विस्थापन स्थल रतौना-हफसिली में पहली डेयरी का संचालन शुरू हो जाएगा। विनोद घोषी अपने 45 पशु लेकर यहां पहुंचेंगे। उनका शेड बनकर तैयार हो गया है। मंगलवार को उन्होंने परिजन के साथ पहुंचकर यहां पूजा-अर्चना की। साथ ही नगर निगम प्रशासन को सूचना भी दी कि बुधवार को सुबह 9 से 10 बजे तक वे यहां अपने पशुओं को लेकर पहुंच जाएंगे।

दरअसल, यहां पर 47 डेयरी संचालकों द्वारा शेड निर्माण कराया जा रहा है। इनके पास 1150 पशु हैं। पांच डेयरी संचालकों के शेड का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। ये भी किसी भी दिन अपने पशुओं को लेकर यहां पहुंच सकते हैं। ऐसे में एक तरफ जहां शहर से लगातार डेयरी बाहर हो रही हैं, वहीं विस्थापन स्थल पर भी शेड बनकर तैयार होने लगे हैं। डेयरियां भी यहां पहुंचने की शुरुआत हो रही है। ऐसे में पशु विचरण मुक्त शहर की मुहिम साकार रूप लेती नजर आ रही है। मंगलवार को एक और डेयरी शहर से बाहर हुई।

तिरुपतिपुरम से संतोष बिहारी यादव के 15 पशु नगर निगम द्वारा अपने वाहन से तालचिरी गांव पहुंचाए गए। इसके अलावा विभिन्न वार्ड में डेयरियों के बाहर एवं गलियों से 38 पशु पकड़कर रेंवझा एवं सीहाेरा गौशाला में भेजे गए। इस प्रकार दिनभर में 53 पशु शहर से बाहर हुए।

जो बचने का सोच रहे हों, वे भ्रम में न रहें

निगमायुक्त चंद्रशेखर शुक्ला ने बताया जिन लोगों ने पशु शेड बनाने के लिए प्लॉट लिए हैं, उन सभी ने काम लगाने के लिए 5 से 7 दिन का समय मांगा था। परंतु हमारे रिकॉर्ड के मुताबिक 150 लोग ऐसे हैं जो अभी तक अपने शेड बनाने नहीं पहुंचे हैं। इनमें से जो अपनी डेयरी शहर से बाहर ले गए हैं, वे तो अपनी सुविधा से शेड बनवा सकते हैं। परंतु जो अपनी डेयरी शहर से बाहर भी नहीं ले गए हैं न ही विस्थापन स्थल पर काम लगाया है, उन्हें अंतिम 3 दिन का समय और दिया जाता है। वे शेड निर्माण शुरू कर दें।

जो ऐसा नहीं करेंगे उनकी डेयरी के पूरे पशुओं को एक बार में उठवाकर गौशाला में सुरक्षित रूप से भेजा जाएगा। शेड बनने के बाद ही पशु वापस किए जाएंगे। ऐसे में पशुपालक जल्द निर्णय लें या तो शहर से बाहर विस्थापित हो जाएं या फिर विस्थापन स्थल पर तेजी से शेड बनाएं। इस काम के लिए अलग से टीमें भी लगा दी गई हैं। यदि किसी ने यह सोच रखा है कि बारिश आने पर वे बारिश का बहाना बनाकर विस्थापित न होने की अनुमति ले लेंगे तो वे इस भ्रम में भी न रहें। हम उनके पशुओं को सुरक्षित गौशालाओं में भेजेंगे। पशु विचरण मुक्त शहर की मुहिम लगातार जारी रहेगी।

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