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बुरहानपुर (म.प्र.)11 मिनट पहले

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नेपानगर नागरिक साख सहकारी संस्था मर्यादित में 9 करोड़ का घोटाला उजागर हुआ था। मामले में पुलिस ने दो आरोपियों को शनिवार को गिरफ्तार किया। जब उन्हें प्रेस के सामने लाया गया तो एक आरोपी समिति संचालक शैलू पंवार पछतावे में रोता रहा। उसके आंसू नहीं थम रहे थे।

एसपी राहुल कुमार लोढ़ा ने बताया कि नेपानगर नागरिक साख सहकारी संस्था मर्यादित में हुए घोटाले के मामले में 2022 सहकारिता विभाग की शिकायत के बाद 16 आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया था। इसमें से दो आरोपी पहले पकड़े जा चुके हैं जबकि दो की शनिवार को गिरफ्तारी की गई। इसमें संस्था का कैशियर सुरेश पिता विश्वनाथ वानखेडे 53 निवासी पांधार एरिया और समिति संचालक बसंत पिता शैलू पंवार 61 निवासी वेलफेयर सेंटर नेपानगर शामिल है। आरोपियों ने कैश बुक में हेराफेरी कर जमाकर्ताओं की राशि का गबन करते थे।

बिजली कंपनी के कलेक्शन में भी करते थे हेरफेर

आरोपी बिजली बिल कलेक्शन की राशि में से आधी खुद के पास रख लेते थे। साथ ही जो राशि समिति के खाता धारकों द्वारा फिक्स डिपोजिट और बचत खाते में जमा करने के लिए दी जाती थी उसे भी रखते थे। सहकारी संस्था में 2017 से 2022 के बीच आर्थिक अनियमितता कर संस्था के अमानतदारों की करीब 8 करोड़ 85 लाख रुपए की राशि के धोखाधड़ीपूर्वक गबन की शिकायत पर उच्च स्तरीय जांच दल ने जांच कर अपना प्रतिवेदन दिया था। इसके आधार पर सहकारी संस्था के विभिन्न पदाधिकारियों, संचालकों, लेखापाल, कैशियर, कर्मचारियों के खिलाफ दिसंबर 2022 में मप्र सहकारी सोसायटी अधिनियम 1960 के तहत केस दर्ज किया गया था। पुलिस ने दो आरोपियों संस्था के तत्कालीन संचालक भीमराव वानखेड़े और मुकेश तायड़े को पहले गिरफ्तार कर लिया था। प्रकरण में अब तक चार आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है।

ऐसे उजागर हुआ था घोटाला- बिजली कंपनी से किया गया था कांट्रेक्ट​​​​​​​

सहकारी संस्था और बिजली कंपनी से 206 में कांट्रेक्ट किया गया था कि 2017 से 2022 के बीच बिजली बिल संस्था जमा करेगी, लेकिन संस्था में बिल जमा करने के बाद भी अधिकांश उपभोक्ताओं को दोबारा बिजली के बिल पिछली राशि जोड़कर मिले थे, लेकिन जब लोगों ने सहकारी संस्था पहुंचकर इसका विरोध किया और राशि जमा करने की बात कही तो बिजली कंपनी अफसरों ने संस्था में दबिश दी। तब मामले को ताबड़तोड़ खत्म करने के लिए संस्था की ओर से दूसरे दिन ही करीब 9 लाख रूपए जमा करा दिए गए थे। यहीं से लोगों को शक हुआ कि संस्था में किसी न किसी प्रकार की गड़बड़ी है और लोग अपना जमा पैसा वापस मांगने आने लगे। इस दौरान कईं बार यहां विवाद की स्थिति भी बनी। करीब 876 जमाकर्ताओं का करोड़ों रूपया आज भी बैंक में जमा है जो वापस नहीं मिल पा रहा है।

व्हाइटनर लगाकर की थी घोटाला छिपाने की कोशिश

संस्था में दो तरीके से पैसा जमा होता था कैश और चेक। कैश जमा करने के दौरान राशि की हेराफेरी कम ज्यादा जमा कर की जाती थी। यह काम एजेंट करते थे। जांच के दौरान यह बात सामने आई कि अगर 55 लाख जमा किया जाना होता था तो 4.50 लाख कम करते थे। उसे दूसरे दिन करते थे और फिर उसमें भी हेराफेरी की जाती थी। व्हाइटनर लगाकर घोटाला कर राशि निकाली गई थी। रुपए के शॉर्ट की भरपाई के लिए गबन किया गया था। एक सर्कल से दूसरे सर्कल में भी राशि इधर से उधर करते थे। इस तरह कुल 9 करोड़ का गबन किया गया था।

आरोपी सुरेश वानखेड़े ने पुलिस को बताया कि कुछ लोगों ने पैसा लेकर ब्याज पर चलाया था। वानखेड़े मकान के कागजात जब्त किए जाएंगे। उसने घोटाले की रकम से मकान भी बनवाया था। आरोपियों में शैलेष मांडले प्रबंधक, विलियम पूर्व प्रबंधक, कैशियर सुरेश वानखेड़े सहित अन्य शामिल हैं।

मामले की जांच जारी

एसपी राहुल कुमार लोढ़ा ने बताया कि आरोपी सुरेश वानखेड़े ने बैंक को 16 लाख रुपए जमा कराए हैं। उसकी रसीद उससे जब्त की गई है। पूछताछ की जा रही है। मामले की जांच जारी है।

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