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मुरैना13 मिनट पहले

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अस्पताल के वार्ड में अपने मरीज पर पंखा झलती महिला - Dainik Bhaskar

अस्पताल के वार्ड में अपने मरीज पर पंखा झलती महिला

मुरैना जिला अस्पताल में इस भीषण गर्मी में मरीज उबल रहे हैं। उन्हें कूलर पंखे तक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है जिससे मरीज अपने घर से पंखा कूलर लाने को मजबूर हैं। वहीं दूसरी तरफ अस्पताल प्रबंधन का तर्क है कि उनके पास पर्याप्त फंड हैं लेकिन हर मरीज के पलंग पर कूलर लगाना संभव नहीं है। लिहाजा मरीज अपनी सुविधा के लिए घर से पंखा, कूलर लाने को मजबूर हैं।

दैनिक भास्कर की टीम ने जब ग्राउण्ड जीरों पर जाकर पड़ताल की तो पता लगा कि अस्पताल में मरीजों की हालय बद से बदतर है। इस भीषण गर्मी में जहां पारा 45 डिग्री को टच कर रहा है। वहां गर्म हवा के थपेड़े मरीजों का हाल-बेहाल कर रहे हैं। जिला अस्पताल के मेल सर्जीकाल वार्ड में जब पहुंचे तो देखा कि वहां एक-एक पलंग पर मरीजों के साथ-साथ तीन से चार अटेण्डर बैठे हैं। जमीन पर महिलाएं झुण्ड के रुप में बैठी हैं। वार्ड में जो कूलर लगे हैं उनमें पानी नहीं है, पंखे चल नहीं रहे हैं। मरीज गर्मी से ऊबल रहे हैं। वहां मौजूद कपूत तोमर ने बताया कि उसकी दोस्त की मां इस वार्ड में भर्ती हैं जिन्हें देखने वह आए हैं लेकिन यहां तो हालत बहुत खराब है। मरीज गर्मी से परेशान हैं तथा अपने घर से पंखा लाने को मजबूर हैं।

घर से लाए पंखा तक रह पाए यहां

उसी समय अस्पताल से छुट्‌टी कराकर मरीज रामदुलारी अपने घर जा रही थीं। उनका नाती घर से पंखा लाया था वह उसे ले जा रहा था। रामदुलारी के पति ईश्वरलाल, निवासी रिठौरा ने बताया कि अस्पताल में पंखे की व्यवस्था नहीं थी जिसके कारण घर से पंखा लेकर आए हैं तथा अब छुट्‌टी हो गई है लिहाजा अपना पंखा भी साथ लेकर जा रहे हैं। उनके साथ मौजूद सुरेश कुमार शर्मा ने बताया कि वार्ड क्रमांक दो में रामदुलारी भर्ती थीं। वहां एक कूलर लगा था जो कि बहुत धीमें चल रहा था। उसमें पानी तक नहीं था जिसके कारण भीषण गर्मी में रह पाना मुश्किल हो रहा था, इसलिए टेबिल फैन लेकर आए हैं

घर से पंखा लाए मरीज के परिजन

घर से पंखा लाए मरीज के परिजन

मरीज बोला, पंखा न लाएं तो क्या करें, सरकार तो मर गई

अस्पताल की पुरानी इमारत के बच्चा वार्ड के सामने मौजूद टीवी वार्ड में रामस्वरुप, निवासी बड़ का पुरा गत गत 10 मई से भर्ती हैं। वह भी अपने घर से पंखा लेकर आए हैं। जब उनसे पूछा कि यह पंखा कौन लाया तो वे बोले कि हम लेकर आए हैं। जब उनसे पूछा कि यहां अस्पताल में पंखे की कोई व्यवस्था नहीं है तो गुस्से में भद्दी गाली देते हुए बोले कि सरकार तो मर गई, हमें सरकार से कोई अपेक्षा नहीं है। वहीं उनकी भाभी बादामी ने समझाते हुए बताया कि यहां आने पर उनके मरीज देवर को गर्मी बहुत लग रही थी। पंखा-कूलर की कोई व्यवस्था नहीं थी जिसके कारण घर से पंखा मंगाया है। उन्हीं के बगल में एक मरीज और भर्ती था जिसने घर से छोटा वाला प्लास्टिक का कूलर मंगाकर लगा रखा था।

टीवी वार्ड में घर से टेबिल फेन लेकर आए मरीज के परिजन

टीवी वार्ड में घर से टेबिल फेन लेकर आए मरीज के परिजन

प्राइवेट वार्ड में बड़ा कूलर लगा और पानी भी

वहीं दूसरी तरफ अस्पताल की दूसरी तस्वीर सामने आई। जहां एक तरफ जनरल वार्डों में मरीज बिना कूलर पंखे के उबल रहे थे वहीं अस्पताल के प्राइवेट वार्ड में बड़े चार पल्लड़ के कूलर लगे थे तथा उनमें पानी भी भरा था। जब इसकी वजह पूछी तो बताया कि प्राइवेट वार्ड का शुल्क 600 रुपए प्रति कमरा प्रति दिन लिया जाता है इसलिए इसमें रहने वाले मरीजों को अच्छी सुविधा देनी होती है लेकिन जब अन्य वार्डों के बारे में बात की तो सभी मौन साध गए।

प्राइवेट वार्ड में लगे कूलर व उनमें पानी जिसमें लगते प्रति कमरा प्रति दिन किराया 600 रुपए

प्राइवेट वार्ड में लगे कूलर व उनमें पानी जिसमें लगते प्रति कमरा प्रति दिन किराया 600 रुपए

अब सुनें जिम्मेदारों का तर्क

इस संबंध में जब अस्पताल के RMO सुरेन्द्र गुर्जर से बात की तो उन्होंने अजीबो-गरीब तर्क दिया। उन्होंने बताया कि अस्पताल के वार्डों में पर्याप्त कूलर पंखे लगे हैं लेकिन वे हर मरीज के पलंग पर कूलर-पंखा नहीं लगा सकते हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या उनके पास फंड की कमी है तो वे बोले कि फंड तो पर्याप्त है लेकिन वे हर मरीज के लिए पंखा कूलर लगाने में असमर्थ हैं।

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