ताजिकिस्तान में अब हिजाब पर आधिकारिक रोक लग गई है। ताजिकिस्तान की संसद में ये फैसला लिया गया। बता दें कि इस कानून का पालन न करने पर भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है। ये कदम देश में धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है। वहीं 2015 में भी राष्ट्रपति इमोमाली रहमान ने हिजाब के खिलाफ आंदोलन भी चलाया था।
मुस्लिम बहुल देश ताजिकिस्तान में हिजाब के इस्तेमाल पर रोक लग गई है। ताजिकिस्तान की संसद ने ईद-उल-फितर और ईद अल-अधा से पहले हिजाब पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून को मंजूरी दे दी है। इस कानून का पालन न करने पर 60 हजार से 5 लाख रुपए तक का प्रावधान रखा गया है। सरकार ने ये कदम देश में धर्म के सार्वजनिक प्रदर्शन को रोकने के लिए उठाए हैं।बता दें कि ताजिकिस्तान में हिजाब को लेकर भले ही कानून अब बनाया गया हो, लेकिन देश में इस पर लंबे समय से अनाधिकारिक बैन लगा हुआ है। यह कानून ज्यादातर हिजाब, या इस्लामिक हेड स्कार्फ और इस्लामी कपड़ों की अन्य पारंपरिक वस्तुओं पर ज्यादा फोकस करता है।
काले कपड़े बेचने पर लगा था प्रतिबंध
बता दें कि दो साल पहले देश की राजधानी दुशांबे में काले कपड़े बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। अब आधिकारिक हिजाब प्रतिबंध की अफगानिस्तान में इस्लामी विद्वानों और मौलवियों के संघ और अमेरिकी-इस्लामिक संबंध परिषद द्वारा निंदा की गई है। 2015 में राष्ट्रपति इमोमाली रहमान ने हिजाब के खिलाफ आंदोलन भी चलाया था।
बच्चों की ईदी पर भी लगेगी रोक
वहीं धार्मिक कमेटी के अध्यक्ष सुलेमान दावलत्जोदा ने बच्चों की ईदी पर बैन लगाने का फैसला लिया गया है। ऐसा बच्चों की सुरक्षा, फिजलखर्च रोकने और पढ़ाई पर फोकस बढ़ाने के लिए किया गया है। पूरे देश में इस कानून की निंदा हो रही है।
ताजिकिस्तान 1994 से अपने राष्ट्रपति इमोमाली रहमोन के अधीन वास्तविक तानाशाही रहा है। 2016 में, देश के मतदाताओं ने संवैधानिक परिवर्तनों का भारी समर्थन किया जिसने रहमोन को शासन करने की अनुमति दी।