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- The Government Demanded A Re investigation Of The Recovered Drugs In The Court, The Court Rejected The Petition
ग्वालियरएक घंटा पहले
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- पुलिस को मिला कोर्ट से झटका
ग्वालियर में विशेष न्यायालय एनडीपीएस ने शासन की उस याचिका को खारिज कर दिया है। जिस पर पिछले साल 6 सितंबर को मुरार थाना क्षेत्र में पकड़े गए कथित ड्रग MDMA के रीटेस्टिंग की मांग की गई थी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस तरह की रीटेस्टिंग और री-सैंपलिंग की अनुमति कोर्ट द्वारा दी जाने लगेगी तो यह एक अंतहीन प्रक्रिया होगी।
यह अनुमति उसी स्थिति में संभव है जब दुर्लभतम मामला सामने हो। सरकार की ओर से हाई कोर्ट में पेश FSL की रिपोर्ट को सवालों के घेरे में खड़ा किया गया था। जिसमें MDMA ड्रग को यूरिया बताया गया था।
बता दें कि इसी के आधार पर एक आरोपी मोहित तिवारी को ना सिर्फ हाई कोर्ट से जमानत मिली थी बल्कि डीजीपी को 10 लाख रुपए कथित आरोपी को देने के आदेश किए गए थे। हालांकि एकल पीठ के मुआवजा देने के आदेश को डिवीजन बेंच ने खारिज कर दिया था। लेकिन FSL की जांच रिपोर्ट के आधार पर अब तक सभी आरोपियों को जमानत मिल चुकी है।
पुलिस की हुई थी किरकिरी
उल्लेखनीय है कि मुरार थाना क्षेत्र में क्राइम ब्रांच और मुरार पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई करके एक महिला सहित 7 लोगों को करीब 40 लाख की MDMA ड्रग के साथ गिरफ्तार किया था। उनके खिलाफ एनडीपीएस के तहत कार्रवाई की गई थी लेकिन बाद में पता चला कि यह MDMA ड्रग न होकर यूरिया है FSL की रिपोर्ट आने के बाद प्रदेश भर में पुलिस की किरकिरी हुई थी
अधिवक्ता का कहना
MDMA मामले में ग्वालियर जिला न्यायालय के शासकीय अधिवक्ता धर्मेंद्र शर्मा ने बताया है कि पिछले साल 6 सितंबर 2022 को क्राइम ब्रांच और मुरार थाना पुलिस ने MDMA ड्रग्स के साथ 7 लोगों को गिरफ्तार किया था, लेकिन जब बरामद किए गए MDMA ड्रग की FSL जांच की गई वह ड्रग यूरिया निकला था जिस पर कोर्ट ने जांच और सबूतों के आधार पर पकड़े गए सभी आरोपियों को जमानत दे दी थी। इस पर शासन ने याचिका लगाते हुए न्यायालय से मांग की थी कि से बरामद किए गए ड्रग की रीटेस्टिंग कराई जाए लेकिन इस याचिका को नकारते हुए न्यायालय खारिज कर दिया है।
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