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- Petrol diesel Vehicles Account For 50% Of Air Pollution In The City; E vehicles Increased 6 Times In Three Years, Pollution Will Reduce
सागरएक घंटा पहलेलेखक: अतुल तिवारी
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जिले के वायु प्रदूषण में पेट्रोल-डीजल गाड़ियों से निकलने वाले धुएं की हिस्सेदारी 50% है।
जिले के वायु प्रदूषण में पेट्रोल-डीजल गाड़ियों से निकलने वाले धुएं की हिस्सेदारी 50% है। क्योंकि जिले में बड़ी इंडस्ट्रीज न होने से सबसे अधिक प्रदूषण वाहनों से निकलने वाले धुएं से ही होता है। इसके बाद इंडस्ट्रीज, माइनिंग व कंस्ट्रक्शन वर्क से वायु प्रदूषण हो रहा है। वाहनों से निकलने वाले धुएं के प्रदूषण को रोकने के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल अहम भूमिका निभा सकते हैं।
जिले में पिछले तीन साल में इलेक्ट्रिक व्हीकल की संख्या बढ़ी है लेकिन अभी भी पेट्रोल-डीजल वाहनों की तुलना में इनकी संख्या एक प्रतिशत भी नहीं है। जिले में साढ़े तीन लाख पेट्रोल-डीजल वाहन रजिस्टर्ड हैं जबकि पिछले साढ़े तीन साल में जिले में सिर्फ 885 इलेक्ट्रिक वाहन रजिस्टर्ड हुए हैं।
2022 में ई-बाइक व ई-रिक्शा की खरीदी में 6 गुना वृद्धि दर्ज की गई, वहीं मालवाहक वाहनों की संख्या में तीन प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई। विशेषज्ञों के मुताबिक एक इलेक्ट्रिक व्हीकल से 1.5 मिलियन ग्राम कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी आती है। ई-व्हीकल से किसी तरह का कार्बन उत्सर्जन नहीं होता।
नाइट्रोजन आक्साइड व पीएम कणों में आती है कमी
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि इलेक्ट्रिक वाहन बढ़ने से हवा में नाइट्रोजन आक्साइड और पर्टिकुलेट मैटर (पीएम कण) की संख्या में कमी आती है। शहर में वायु प्रदूषण पेट्रोल-डीजल गाड़ियों से निकलने वाले धुएं, इंडस्ट्रीज, कंस्ट्रक्शन वर्क, माइनिंग व अन्य कारणों से होता है।
अगर इलेक्ट्रिक गाड़ियों का इस्तेमाल इसी गति से बढ़ता रहा तो शहर में धूल-धुआं उड़ाती गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण में काफी कमी आएगी। हवा में मौजूद अलग-अलग केमिकल और पर्टिकुलेट मैटर के चलते लोगों में अस्थमा, हाइपरटेंशन, ब्लड प्रेशर, सिर में दर्द, आंखों में जलन, त्वचा पर एलर्जी सहित कई बीमारियां हो सकती हैं। इलेक्ट्रिक गाड़ी से किसी तरह का कार्बन उत्सर्जन नहीं होता।
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