Fri. Jul 26th, 2024

[ad_1]

विजय सिंह बघेल। भोपाल41 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

हुआ यूं कि कांग्रेस के ‘राजा’ बुंदेलखंड में दमदार मंत्रियों की घेराबंदी के लिए पहुंचे। जिस मैरिज गार्डन में राजा बैठक लेने वाले थे, वहां शिवराज के मंत्री ने तीसरी आंख और सरकारी दूतों को तैनात कर दिया। राजनीति के माहिर खिलाड़ी राजा माजरे को भांप गए। उन्होंने बैठक में पार्टी के कार्यकर्ता बन दुबक कर बैठे सरकारी दूतों को चुन-चुन कर मीटिंग हॉल से बाहर कर दिया।

तीसरी आंख में तीर मारकर (CCTV बंद कराकर) राजा ने कार्यकर्ताओं को मैसेज दिया कि अब आप खुलकर अपनी बात कहें कोई दूत और तीसरी आंख आपकी बात देख-सुन नहीं रहे। इसके बाद राजा के सामने सरकार से पीड़ित कार्यकर्ताओं ने जमकर भड़ास निकाली।

कार्यकर्ता का गिफ्ट देना सांसद को रास नहीं आया

राजनीति में हर कार्यकर्ता अपने बड़े नेताओं से नजदीकियां बढ़ाना चाहता है। इसके लिए वो हर तरह के जतन करता है। ग्वालियर में एक कार्यकर्ता की इसी कोशिश के दौरान सत्ताधारी दल के सांसद नाराज हो गए। इससे बाकी कार्यकर्ताओं के भी कान खड़े हो गए हैं।

हुआ यूं कि एक कार्यकर्ता ने सांसद को अपने घर बुलाया। मन में पद की लालसा थी, तो खूब आवभगत की। नेताजी जाने लगे तो तिलक लगाया, गिफ्ट भी दिया। विद्यार्थी परिषद की पृष्ठभूमि से आए सांसद जी ने टीका तो खुशी-खुशी लगवा लिया, लेकिन गिफ्ट नहीं लिया, उसे वहीं छोड़ दिया। कार्यकर्ता का गिफ्ट देना सांसद जी को रास नहीं आया। फिर क्या था, पद मिलना तो दूर उस कार्यकर्ता को जिले की कार्यसमिति से भी दूर रखा गया।

नेताजी ने लगाई कोर्ट तक दौड़

कांग्रेस के एक नेता को पुराने मामले में कोर्ट तक दौड़ लगाना पड़ गई। दरअसल, कोरोना काल में कांग्रेस नेताओं ने भोपाल के एमपी नगर में प्रदर्शन किया था। शुक्रवार को कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होनी थी, लेकिन नेताजी कोर्ट न पहुंचकर पार्टी दफ्तर में बैठक की तैयारी में जुटे थे। इधर, कोर्ट ने नेताजी के पेशी पर नहीं आने के चलते उनका गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया।

वकील ने जमानत का आग्रह किया तो जज साहब ने 10 मिनट का टाइम दिया। मतलब इतनी देर में नेताजी पेश हो जाएं तो राहत मिल सकती है। फिर क्या था, जैसे ही नेताजी को इस बात की खबर लगी, वो सिर पर पैर रखकर पार्टी ऑफिस से भागकर कोर्ट पहुंचे।

बदलाव की खबरों पर ही बैटिंग शुरू

विश्व की सबसे बड़ी पार्टी के मीडिया डिपार्टमेंट की हालत दुबली-पतली है। पार्टी ने जिन्हें बोलने के लिए अधिकृत किया, उनमें से ज्यादातर प्रवक्ता दफ्तर से गायब रहते हैं। डिपार्टमेंट के चीफ बदलने की खबरें जैसे ही उड़ीं, चंबल के ही एक प्रवक्ता जमकर बैटिंग कर रहे हैं। कांग्रेस के नेता कमलनाथ हों या दिग्विजय सिंह, हर प्रोग्राम को लाइव देखकर हमले करने में देर नहीं करते। बता दें कि नए चीफ बनने के इच्छुक बैट्समेन भी उसी जिले से आते हैं, जहां के नेता अभी मीडिया डिपार्टमेंट के मुखिया हैं।

और ऐसे महाराज को जीत से पहले मिली मात

चंबल के दबंग नेता जी पर बिहारी स्टाइल में थाने पर हमला करने सहित सरकारी काम में बाधा डालने जैसे केस दर्ज हैं। मामला अंतिम दौर में है विधि विशेषज्ञों की मानें तो नेता जी को कोर्ट से राहत की उम्मीद के बजाए आफत की आशंकाएं डरा रहीं हैं। लिहाजा महाराज के जरिए सरकार को साधा। सरकार ने दूसरे दरवाजे से राहत की तैयारी भी कर ली, लेकिन इसी बीच अंदरूनी तौर पर चल रहे राहत के प्रयास की खबर बाहर आ गई। फिर क्या था सरकार घिर गई। उधर, राहत के मामले पर हाईकोर्ट ने भी रोक लगा दी है। अब नेता जी पर मंडराते आफत के बादल 3 मई को छंटेंगे ये तो कोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगा। इस मामले में सरकार ने महाराज को जीत से पहले ही मात दे दी है।

खबरें और भी हैं…

[ad_2]

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *