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- ‘The Kerala Story’ Film Based On True Incident, What Happened Is Being Shown In That Movie
सागर7 मिनट पहले
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दिव्य दरबार में भक्तों से बात करते हुए पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री।
हालही में रिलीज हुई द केरला स्टोरी फिल्म का बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने समर्थन किया है। उन्होंने सागर के जैसीनगर में कहा कि द केरला स्टोरी सत्य घटना पर आधारित फिल्म है। यह देश की वर्तमान परिस्थिति हैं। दरअसल, सागर की सुरखी विधानसभा के जैसीनगर में बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की 20 से 22 मई तक हनुमंत कथा आयोजित की गई है।
कथा के दूसरे दिन रविवार को दिव्य दरबार लगाया गया। दिव्य दरबार में केरल से आई महिला की अर्जी लगी। केरल निवासी महिला ने मंच पर पहुंचकर कहा कि मैं टीवी पर आपकी कथा देखती थी। मैंने प्रण लिया था कि पंडाल में बैठकर कथा सुनना है और मैं आ गई। क्योंकि वहां कथा होती नहीं हैं। महिला की बात सुन पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि मतलब द केरला स्टोरी सत्य बनी है। जिस पर महिला ने जवाब देते हुए कहा कि कुछ-कुछ सत्य है लेकिन कुछ एडिट की गई है।
इससे पहले रात के समय हुई प्रश्नोत्तरी में पंडित धीरेंद्र शास्त्री से सागर के एक युवक ने द केरला स्टोरी को लेकर उनकी राय जाननी चाहिए। जिस पर पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने खुलकर बोलते हुए कहा कि द केरला स्टोरी सत्य घटना पर आधारित फिल्म है। ये देश की वर्तमान परिस्थिति है। हम सब हिंदू सोए हुए हैं। समझ नहीं पा रहे। लोग हमसे कहते हैं कि आप भड़काऊ बयान देते हैं, आप विवाहित बातें करते हैं। पर प्राय: हमारी बातें भड़काऊ नहीं, अपितु हिंदुओं को जगाऊ वाली बातें होती हैं। दूसरी बात जो हुआ है वह उस मूवी में दिखाया जा रहा है।

दिव्य दरबार में केरल से पहुंची महिला से बात करते हुए पंडित धीरेंद्र शास्त्री।
मूवी में जो बताया गया, वह अक्षर सा सत्य है
तीसरी बात हम सब हिंदुओं का यह दुर्भाग्य है कि उस मूवी में जो-जो बताया गया है वह एक-एक अक्षर सा सत्य है। जब तक भारत के प्रत्येक मंदिर में हिंदुओं को यह शिक्षा नहीं देंगे कि सनातन क्या है? और हिंदू क्या है? तब तक ऐसी घटनाएं घटती रहेंगी और ऐसी फिल्में बनती रहेंगी। इस फिल्म से समझ जाना चाहिए और हमको जाग जाना चाहिए। हमारी बहनों को तो खासकर जान लेना चाहिए। अपने धर्म में मरना ठीक है, दूसरे धर्म का विचार करने से। इसिलए दूसरे मजहब और पंथ के व्यक्ति पर उतना ही भरोसा करना चाहिए, जितना कि हमको समुंदर में डाले हुए सिक्के पर भरोसा हो मिलने का।
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