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इंदौर23 मिनट पहले
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भारत के पश्चिमी प्राचीर के रक्षक सिंधुपति महाराजा दाहिर सेन सिंध के धर्मवीर, दानवीर व युद्धवीर थे। सिंधू संस्कृति के विकास में महती भूमिका निभाने वाले हिंदू कुल रक्षक के रूप में उनकी ख्याति जन-जन में थी। मात्र 12 वर्ष की आयु में उन्होंने वृहद सिंध का राज संभाला, उसका विस्तार किया और अंतिम श्वास तक राष्ट्र रक्षा के लिए तत्पर रहे। महाराजा दाहिर सेन ने युद्धभूमि में देश की रक्षा के लिए अपने प्राण दिए। उनके अंतिम शब्द थे- हे मातृभूमि, भावी संतानें तुम्हें आजाद कराएंगी।
उक्त बात भारतीय सिंधु सभा के प्रदेश अध्यक्ष गुलाब ठाकुर ने शनिवार को कही । सिंध के अंतिम सम्राट राजा दाहिरसेन के 1311वें बलिदान दिवस पर सिंधी साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद भोपाल द्वारा भारतीय सिंधु सभा इंदौर के साथ मिलकर स्वामी प्रीतमदास सभागृह में आयोजित काव्य गोष्ठी एवं व्याख्यान में बोल रहे थे।
समारोह में उपस्थित समाजजन।
कविताओं में भी दिखा सम्राट का व्यक्तित्व
व्याख्यान को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सामाजिक समरसता के इंदौर विभाग के संयोजक ईश्वर हिन्दूजा ने भी संबोधित किया। भारतीय सिंधु सभा इंदौर के अध्यक्ष रवि भाटिया, नरेश फुंदवानी, सुनील वाधवानी एवं रमेश गोदवानी ने बताया कि कार्यक्रम में शहर के प्रख्यात कवि ताराचंद लालवाणी, नमोश तलरेजा, हरेश सेहवानी एवं विनीता मोटलानी ने कविताओं के माध्यम से दाहिर सेन के व्यक्तित्व और कृतित्व की जानकारी दी।
कार्यक्रम में महिलाओं ने भी शिरकत की।
अनेक प्रतिनिधि, युवा और महिलाएं थीं उपस्थित
आयोजन में अजय शिवानी, जय काकवानी, सरिता मंगवानी, पंकज फतेहचंदाणी, नरेश चेलानी के साथ ही सिंधी समाज की अनेक पंचायत- संस्थाओं के प्रतिनिधि, युवा और महिलाएं उपस्थित थी। कार्यक्रम का संचालन सुनील वाधवानी ने किया। सरिता मंगवानी ने आभार माना।
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