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इंदौर26 मिनट पहले
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ऐसा पहली बार होगा, जब शहर के तीन पेड़ों को ऐतिहासिक घोषित किया जाएगा।
ऐसा पहली बार होगा, जब शहर के तीन पेड़ों को ऐतिहासिक घोषित किया जाएगा। 200 वर्ष से भी अधिक पुराने ये पेड़ इतिहास की अनेक घटनाओं के साक्षी रहे हैं। हमारा इंदौर, हमारा पर्यावरण नाम से प्रकाशित पुस्तक में भी इसका विवरण दिया है, ताकि आने वाली पीढ़ियों को भी इनका गौरवशाली इतिहास पता चले। ये तीन पेड़ रेसीडेंसी, एमवायएच परिसर और संवाद नगर मेनरोड पर हैं। संस्था सेवा सुरभि ने इसे लेकर गुरुवार को निगमायुक्त हर्षिका सिंह से मुलाकात की। संस्था के ओमप्रकाश नरेडा ने बताया कि पेड़ों को संरक्षित करने के लिए धरोहर घोषित करना होगा। पुस्तिक तैयार करने में डॉ. ओपी जोशी, डॉ. किशोर पवार, डॉ. सुधींद्र मोहन शर्मा और भोलेश्वर दुबे ने योगदान दिया है।
एमवाय परिसर; यहां दो क्रांतिकारियों को फांसी

एमवाय अस्पताल परिसर में नई ओपीडी और डॉक्टर्स के पुराने क्वार्टर के पास नीम का पेड़ 200 वर्ष से अधिक प्राचीन हो चुका है। इस पेड़ पर 10 फरवरी 1858 में सूर्यवंशी राजा और मालवा-निमाड़ के गौरव अमझेरा के तत्कालीन राजा बख्तावरसिंह राठौर और उनके साथियों को फांसी की सजा दी गई थी।

रेसीडेंसी कोठी; सआदत खां को दी गई थी फांसी

दूसरा पेड़ रेसीडेंसी कोठी परिसर में बरगद का है। यह भी लगभग 200 वर्ष पुराना है। इसी पेड़ की शाखा पर 7 सितंबर 1874 को होलकर सेना के सआदत खां को फांसी पर लटकाया गया था। हर साल उनके शहादत दिवस पर यहां आयोजन होते हैं। पेड़ धरोहर घोषित होगा तो संरक्षण पर ध्यान दे सकेंगे।
संवाद नगर; सबसे पुराना और विशाल वट वृक्ष
तीसरा बरगद का पेड़ आजाद नगर पुल के पास संवाद नगर में है, जो सबसे प्राचीन और विशाल वृक्ष है। यहां 1 जुलाई 1857 को रेसीडेंसी में अंग्रेजों के विरुद्ध फैले विद्रोह के दौरान कर्नल ड्यूरंड ने भागने की कोशिश की थी। तब उन्हें गुप्तचरों से पता चला था कि इसी पेड़ के तने में छुपे सिपाही उन पर हमला कर सकते हैं।
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